70 साल के एक बुजुर्ग को कोरोना संक्रमण की वजह से अस्पताल में 62 दिन दाखिल रहना पड़ा। इसके बाद हॉस्पिटल ने उन्हें 1.1 मिलियन डॉलर (करीब8.35 करोड़ रुपए) का बिल थमा दिया। कोरोना को मात देने वाले इस बुजुर्ग के होश 181 पन्नों का बिल देखते ही उड़ गए। बिल देख उन्होंने कहा- मैं क्यों जिंदा बच गया, इससे अच्छा तो मर जाता। द सिएटल टाइम्स के मुताबिक मामला अमेरिका के सिएटल शहर का है।
माइकल फ्लोर नाम के 70 वर्षीय मरीज को सिएटल शहर के स्वीडिश मेडिकल सेंटर में 4 मार्च को कोरोना संक्रमित होने के कारण भर्ती कराया गया था। इसके बाद अस्पताल ने जब 62 दिनों बाद उन्हें छुट्टी दी तो उन्हें 181 पन्नों का बिल थमा दिया गया, जिसमें बताया गया कि हर दिन आईसीयू के लिए 7.39 लाख चार्ज किए गए। 42 दिन स्टेराइल रूम में रखने के लिए 3.10 करोड़ रुपए, 29 दिन तक वेटिंलेटर पर रखने के लिए 62.28 लाख रूपए और दो दिन जान खतरे में आने के बाद हुए ट्रीटमेंट के लिए करीब 76 लाख रुपए चार्ज किए गए।
4 मार्च को अस्पताल में भर्ती करने के बाद बुजुर्ग की तबीयत इतनी बिगड़ गई थी कि एक बार तो अस्पताल की नर्स ने उनके परिवार को मिलने के लिए बुलाने की सोची। लेकिन इसके बाद बालत में सुधार हुआ और 62 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इसे स्वास्थ्यकर्मियों ने चमत्कार ही माना है, क्योंकि अमेरिका में कोरोना से मरने वालों में बुजुर्गों की संख्या सबसे अधिक है।
सिएटल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हालाँकि फ्लोर बुजुर्गों के लिए बनाए गए सरकार के कार्यक्रम के तहत इंश्योरेंस कवर में आते हैं। इसलिए उन्हें इलाज का खर्चा अपनी जेब से नहीं देना पड़ेगा, लेकिन बिल को देख फ्लोर कहते हैं कि वे टेक्सपेयर्स का इतना पैसा खर्च होने की बात सुनकर बेहद दुखी हैं और खुद को अपराधबोध से ग्रस्त महसूस कर रहे हैं।