
-कॉन्फ्रेंस हॉल राजनीतिक बैठकों और टीवी चैनलों के डिबेट सेट्स भी बदल गए
पटना । बिहार में चुनावी सरगर्मियों चरम पर है और होटल्स की डिमांड भी खूब हो रही है। शहर के करीब सभी बड़े होटल्स फुल हो चुके हैं। चाहे वो दशकों पुराना होटल मौर्य हो, चाणक्य या हाल ही में शुरू हुआ ताज होटल…चुनावी बुखार ने राजधानी के सभी बड़े होटलों को मालामाल कर दिया है। होटल मौर्य के कॉन्फ्रेंस हॉल से लेकर लॉबी तक अब नेताओं, पत्रकारों और चुनावी रणनीतिकारों का डेरा डल चुका है। यहां बने कॉन्फ्रेंस हॉल अब राजनीतिक बैठकों और टीवी चैनलों के डिबेट सेट्स में बदल गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट में होटल के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पार्टियां अपने नेताओं के लिए कमरे पहले से बुक करा लेती हैं, भले ही उनका इस्तेमाल न हो। उन्हें पता है कि बाद में एक भी कमरा खाली नहीं मिलेगा। करीब 80 कमरों वाले होटल मौर्य में भी इस वक्त ‘हाउसफुल’ का बोर्ड लगा हुआ है। वहीं, चाणक्य होटल में ऑनलाइन बुकिंग करने पर ‘सॉल्ड आउट’ यानी सारे कमरे बुक होने का संदेश दिख रहा है।
रिपोर्ट में यात्रा पोर्टल्स के मुताबिक हाल ही में खुले ताज होटल में कमरे की कीमतें 18,000 से 20,000 रुपए प्रति रात तक पहुंच चुकी है। यही नहीं आईएचसीएल ग्रुप ने पटना में एक बजट होटल भी खोला है, लेकिन वहां भी सीटें पहले से बुक हैं.
कमरों की भारी कमी से बेहाल पटना पटना की होटल इंडस्ट्री मांग के हिसाब से क्षमता नहीं बढ़ा पाई है. होटल मौर्य और चाणक्य जैसे प्रतिष्ठित होटलों को बने चार दशक से अधिक हो चुके हैं, जबकि राज्य सरकार संचालित होटल अभी मरम्मत के दौर से गुजर रहा है.
1990 के दशक और शुरुआती 2000 के वर्षों में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब रहने के कारण कोई बड़ा होटल निवेश नहीं हुआ। हाल के वर्षों में शराबबंदी से भी होटल कारोबार को झटका लगा है। अब कई मेहमान डे ट्रिप में ही लौट जाते हैं। वहीं शादियां व कॉन्फ्रेंस बिहार से बाहर शिफ्ट हो गई हैं। सिर्फ पटना ही नहीं, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर जैसे प्रमुख शहरों में भी यही स्थिति है। क्वालिटी होटलों की कमी बिहार को पड़ोसी राज्यों से पीछे दिखाती है।
तेजी से बढ़ती बिहार की अर्थव्यवस्था और निवेश की संभावनाओं को देखते हुए कुछ अंतरराष्ट्रीय होटल चेन राज्य में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की योजना बना रही हैं। हालांकि, इन योजनाओं का भविष्य काफी हद तक चुनाव परिणामों पर निर्भर करेगा। फिलहाल, बिहार चुनाव ने पटना के होटल कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है, क्योंकि कमरों की ‘कमी’ अब उनकी कमाई का जरिया बन चुकी है।














