नोएडा । इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन एक गंभीर पर्यावरणीय चुनौती है जो विश्वभर में बढ़ रही है। आधुनिकता और तकनीकी उन्नति के साथ, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उपयोग में भी वृद्धि हुई है जो उपभोक्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं, हालांकि इसके साथ ही बढ़ते ई-अपशिष्ट का प्रबंधन एक बड़ी समस्या बन गयी है। भारत में भी ई-अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें एक मुख्य समस्या है जनता की जागरूकता की कमी। बहुत से लोग एक्सपायर्ड इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों या क्षतिग्रस्त अथवा त्यागे जा चुके उत्पादों को सही तरीके से निस्तारित नहीं करते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। इस समस्या को हल करने के लिए आवश्यक है कि जनता को ई-अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए।
इस सन्दर्भ में आरएलजी इंडिया के “क्लीन टू ग्रीन (सी2जी) अभियान का योगदान उल्लेखनीय है। यह अभियान जनता को जागरूक करने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक है और ई-अपशिष्ट संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वित्तीय वर्ष 17-18 से वित्तीय वर्ष 22-23 तक सी2जी अभियान के माध्यम से आरएलजी इंडिया ने 26 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूलों, कॉलेजों, समुदाय वासियों, कार्यालय समूहों, खुदरा विक्रेताओं, बड़े उपभोक्ताओं और अनौपचारिक क्षेत्र के संलग्नों को सम्मिलित करते हुए भारत भर में कुल 8,614 गतिविधियाँ आयोजित की, जिनसे 46,48,160 व्यक्तियों तक यह अभियान पहुंचा।
स्थानिक जागरूकता बढ़ाने के लिए कंपनी ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनता को ई-अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए स्थानिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया है, और सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी जनता के बीच ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लाभों को प्रचारित किया है। अपने प्रयासों के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता और व्यवहारिक परिवर्तन के स्तर को मापने के लिए आरएलजी इंडिया ने कई तार्किक मापदंड अपनाए हैं, उनमें से एक तार्किक मापदंड है टोल-फ्री कॉल की संख्या – उपभोक्ताओं द्वारा टोल-फ्री नंबर पर किए गए कॉल की संख्या के माध्यम से उनकी जागरूकता और परिवर्तन का स्तर मापा जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन और रीसायकलिंग में नए अवसरों की खोज के मामले में, आरएलजी इंडिया ने नई तकनीकें और प्रक्रियाएं अपनाई या विकसित की हैं जो ई-अपशिष्ट प्रबंधन और रीसायकलिंग को सुधारने में सहायता करती हैं।उदाहरणस्वरूप, टेक बैक पोर्टल और ऐप रीसायकलिंग प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके माध्यम से लोग अपने ई-अपशिष्ट उत्पादों को संग्रहीत करवा सकते हैं और सही तरीके से उत्सर्जन कर सकते हैं। नेविज़न ट्रैकिंग और व्यवस्था सॉफ़्टवेयर है जो ई-अपशिष्ट के प्रबंधन को सुविधाजनक और अधिक पारदर्शी बनाता है। इससे उपभोक्ताओं को उनके अपशिष्ट के स्थान का पता चलता है और उसके संबंधित प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है। एल्मा ई-अपशिष्ट उत्पादों के विश्लेषण और निस्तारण प्रक्रिया को सुविधाजनक और अधिक अभिगम्य बनाने के लिए एक विशेष सॉफ़्टवेयर है। इससे रीसायकलिंग और वैल्यू में संगठित तरीके से वसूलने में सहायता मिलती है।
श्रीमती राधिका कालिया, एमडी, आरएलजी इंडिया का मानना है कि तेजी से बढ़ते तकनीकी उन्नतियों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के त्वरित अनुकूलन से, ई-अपशिष्ट के उत्पादन में बहुतायती वृद्धि हुई है, जो ई-अपशिष्ट प्रबंधन और रीसायकलिंग के क्षेत्र में समस्याओं और अवसरों को प्रस्तुत करता है। पर्यावरण संबंधी चिंताओं के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ, ई-अपशिष्ट रीसायकलिंग बुनियादी संरचना स्थापित करने की मांग बढ़ रही है। सरकारें और निजी उद्यम ई-अपशिष्ट के कुशल निपटान हेतु नवीनतम संसाधनों के निर्माण में निवेश कर रहे हैं।
ई-अपशिष्ट सामग्री से मूल्यवान संसाधनों जैसे कीमती धातु, दुर्लभ पृथ्वीय तत्व और पुनःउपयोगी घटकों को उत्पन्न करने में सक्षमता हासिल करने की दिशा में यह प्रयास नवीन आयाम खोलते हैं। इसके अतिरिक्त, चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को अपनाने से, जिसमें उत्पादों को लंबी उम्र और पुनःउपयोगी बनाने के साथ-साथ आसानी से अलग किया जा सकता है, ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए अवसर प्रस्तुत होते हैं। कई देश ईपीआर विनियमन को लागू कर रहे हैं, जिसके तहत उत्पादकों को उनके उत्पादों के सम्पूर्ण जीवन चक्र के लिए जिम्मेदार होना अनिवार्य है, जिसमें ई-अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है।
इससे सहज संचयन और रीसायकलिंग प्रणाली के विकसित होने के लिए उत्पादक, कचरा प्रबंधन कंपनियों और रीसायकलर्स के बीच सहयोग के लिए अवसर होते हैं। नवीनतम रीसायकलिंग प्रौद्योगिकियों में प्रगति के चलते ई-अपशिष्ट सामग्री से मूल्यवान पदार्थों को प्राप्त करने में सक्षमता प्राप्त हुई है। ये प्रौद्योगिकियाँ एक तरफ संसाधनों को पुनः प्राप्त करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, और दूसरी तरफ संसाधनों के मूल्यवान पदार्थों के लाभकारी उत्पादन में सक्षमता प्रदान करती हैं। अतः, नवीन प्रौद्योगिकियां नवीन अवसर और आयाम प्रस्तुत करती हैं। इसके अतिरिक्त, जागरूकता और शिक्षा, डेटा सुरक्षा और डेटा नष्टी, और संसाधन पुनर्प्राप्ति जैसे क्षेत्र नए अवसर प्रदान करते हैं।
श्रीमती राधिका कालिया आगे कहती हैं, “ई-अपशिष्ट संबंधित व्यवसायों में सक्रिय होने के लिए समय पर और योग्य रूप से सक्षम तकनीकी समाधानों के प्रयोग के कारण अधिक लोग इस क्षेत्र में नए अवसर पा रहे हैं। इसके साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता को बढ़ाने और स्थानिक स्तर पर जनता को सशक्त बनाने के लिए नए शैक्षणिक और जागरूकता पहलुओं को बल मिला है। परिणामस्वरूप, जनता अब ई-अपशिष्ट प्रबंधन की महत्वपूर्णता को समझने और उसके लाभों को समझने में अधिक सक्षम हो रही है। विकसित और नवाचारी तकनीकों के अनुसरण के माध्यम से ई-अपशिष्ट प्रबंधन का क्षेत्र और भी सक्रिय रूप से उभर रहा है और पर्यावरण संरक्षण हेतु नवीन उपाय प्रस्तुत कर रहा है। इन घटनाक्रमों के चलते समाज को अधिक सजग बनाने, और एक ग्रीन और स्वच्छ भविष्य का निर्माण करने हेतु गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं।“