बांग्लादेशियों के फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले गिरोह के खिलाफ पुलिस और खुफिया विभाग ने बड़ी सफलता हासिल की है। हाल ही में दत्तपुकुर से गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपित, मोक्तार आलम से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं। पता चला है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए केवल नकली पासपोर्ट ही नहीं बनाता था, बल्कि उनके धर्म और नाम बदलकर उनके रहने की व्यवस्था करता था। पुलिस के मुताबिक, मोक्तार का नेटवर्क सिर्फ स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि अन्य राज्यों तक फैला हुआ है।
मोक्तार आलम को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। इससे पहले समरेश विश्वास और दीपक मंडल नामक दो लोगों को इसी मामले में पकड़ा गया था। ये दोनों फर्जी पासपोर्ट बनाने में माहिर थे। लेकिन मोक्तार का कद इनसे कहीं बड़ा है। पुलिस ने बताया कि वह अपने एजेंटों और सब-एजेंटों की मदद से इस अवैध कारोबार को संचालित करता था।
धर्म और पहचान भी बदल दी जाती थी
मोक्तार और उसकी टीम अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए जाली दस्तावेज तैयार करती थी। इन दस्तावेजों में नाम, पता और धर्म तक बदल दिए जाते थे। सूत्रों के अनुसार, मोक्तार के पास पहले से ही घुसपैठियों की सूची और उनकी जानकारी मौजूद रहती थी। वह उन्हें फर्जी पहचान पत्र उपलब्ध कराकर भारत में ठहरने की व्यवस्था करता था।
मोक्तार केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं था। जांच के दौरान यह सामने आया है कि उसने कई घुसपैठियों को अन्य राज्यों में भी फर्जी पहचान पत्र के सहारे भेजा। पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि मोक्तार का नेटवर्क अन्य राज्यों में कितना सक्रिय है।
पहले भी हो चुका है गिरफ्तार
यह खुलासा हुआ है कि मोक्तार 2021 में भी जाली दस्तावेज बनाने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। उस वक्त चूचूड़ा थाने ने उसे पकड़ा था, लेकिन बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद उसने इस अवैध काम को और भी विस्तार दिया।
जांच में यह भी पता चला है कि अमता पोस्ट ऑफिस के एक अस्थायी कर्मचारी ने समरेश और उसके एजेंटों को पासपोर्ट सीधे सौंपे। खुफिया विभाग इस संबंध में उस कर्मचारी से भी पूछताछ कर रहा है। पुलिस और खुफिया विभाग अब इस पूरे गिरोह की जड़ तक पहुंचने के लिए मोक्तार से गहन पूछताछ कर रही है। उम्मीद है कि इस मामले में जल्द ही और भी बड़े खुलासे होंगे।