भास्कर ब्यूरो
बकेवर/फतेहपुर । टैग युक्त जानवरो को भी लोग टैग काट कर छोड़ रहे है। मामला देवमई विकासखण्ड के मुसाफा ग्राम पंचायत का है। एक ओर सड़कों को निराश्रित मवेशियों से मुक्त करने का दबाव तो दूसरी ओर नेताओं व अधिकारियों से मांग है कि निराश्रित पशु किसी सरकार की देन नहीं बल्कि यह मवेशी खुद उन पशुपालन करने वाले लोगो के है जिन्होंने उन पशुओं को आवारा बना दिया है। आज सड़को पर जो मवेशी घूमते नजर आते है उसमें सबसे बड़ा कारण उन जानवरो पर लगे टैग को काटकर छोड़ा जा रहा है।
कान में पड़े टैग से पशुपालक का आसानी से लगा सकते हैं पता
आवारा मवेशियों से कई बार सड़क पर हादसे होते रहते है। लेकिन सरकार इस पर कोई स्थायी हल नही निकाल पा रही है। पशुओं के कान में पड़े टैग से अब उसके मालिक का पता आसानी से चल जाएगा। सरकार की ओर से आधार की तरह सभी पशुओं को भी 12 डिजिट की विशिष्ट पहचान संख्या दी जा रही है।
इससे पशु चोरी या गुम होने पर तो उसका तुरंत पता चल जाएगा। साथ ही अगर किसी ने पशु को सड़क पर छोड़ रखा है तो इससे उसका पता लगाया जा सकेगा। इस विशिष्ट पहचान संख्या के जरिए ही पशुओं का टीकाकरण व अन्य सुविधाएं पशुपालकों को दी जा सकेंगी लेकिन इसके बावजूद भी अन्ना जानवरों पर लगाम नही लग पा रही है।