दैनिक भास्कर ब्यूरो,
अमौली, फतेहपुर । अमौली कस्बे में पैथोलॉजी लैब की भरमार सी आ गयी है जिनका ना ही रजिस्ट्रेशन है और ना ही एनओसी, जिनमे अधिकतर फर्जी तरीके से संचालित हो रही है। जबकि प्रत्येक लैब में डिग्री होल्डर डॉक्टर और लैब टेक्नीशियन की उपस्थिति में ही पैथोलॉजी संचालन किया जा सकता है लेकिन इन नियमो को धता बताकर कस्बे में आधा दर्जन से ज्यादा चल रही पैथोलॉजी में डॉक्टर तो छोड़ो लैब टेक्नीशियन तक नहीं हैं जो फर्जी तरीके से जाँच निकाल कर ग्रामीण क्षेत्रो के असहाय गरीबो को गुमराह कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
हाल ही में एक ऐसा ही मामला अमौली कस्बे का सुर्खियों में आया था जिसमें कस्बे में एक झोलाछाप डॉक्टर के कहने पर तीन वर्ष की बेटी की जाँच दीपांजलि पैथोलॉजी में हुई थी। तब एक चौकाने वाली रिपोर्ट आने के बाद कस्बे के सभी डॉक्टरों ने सामान्य रूप से बीमार बच्ची को गम्भीर बीमार बताकर कानपुर के लिए रिफर कर दिया था। जिसकी कानपुर के डॉक्टरों ने जांच कराई तो सब कुछ सामान्य था। उसे केवल मामूली बुखार था और कानपुर की रिपोर्ट भी अलग थी जिससे अमौली की लैब से उपलब्ध कराई जा रही मरीजों की गलत रिपोर्ट की पोल खुल गई थी। बीमार बच्ची के तीमारदारों ने स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी से लिखित शिकायत कर उक्त पैथोलॉजी संचालक के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की थी।
शिकायती पत्र मिलने के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने लैब संचालक को नोटिस भी भेजा था। इसके बावजूद आज पांच दिन बीत चुके है कार्यवाही शून्य है। पैथोलॉजी संचालक की जाँच का खेल निरंतर चालू है। गलत रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही न होने से स्थानीय लोगो का भरोसा विभागीय जिम्मेदारो के प्रति टूटता जा रहा है। लोगो का कहना है कि यदि पैथोलॉजी लैब संचालक विभागीय जिम्मेदारों के रहमोकरम पर ऐसे ही फर्जी तरीके से गलत रिपोर्ट देंगे तो मरीजों का सही इलाज कहाँ सम्भव है।