दैनिक भास्कर ब्यूरो
फतेहपुर । जनपद में सैकड़ों की संख्या में निजी नर्सिंग होम बिना किसी रजिस्ट्रेशन, मानक व फायर एनओसी के संचालित हो रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनके यहां डॉक्टर उपलब्ध हैं मगर इनके पास एनओसी न होने की वजह से ये अवैध की श्रेणी में आते हैं। जबकि झोलाछाप, जिनका न कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही डॉक्टर, वह बिना किसी प्रक्रिया के जगह जगह पर परचून की तरह दुकान खोलकर बेहतर इलाज के नाम पर सिर्फ मरीज का शोषण करते हैं। बता दें कि जनपद में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अपने उत्तरदायित्वों के प्रति तनिक भी सजग नहीं है। जिले में अवैध नर्सिंग होमों की शहर से लेकर गांवों तक भरमार है।
नर्सिंग होम, क्लीनिक व पॉलीक्लीनिक के जिले में कुल 54 लाइसेंस
इन नर्सिंग होमों में अप्रशिक्षित लोगों के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, जिससे कोई न कोई मौत का शिकार होता रहता है। ऐसे अवैध अस्पतालों में मरीजों की मौत के बाद परिजन हंगामा करते हैं, लेकिन विभागीय जिम्मेदारों की कानों में जूं तक नही रेंगतीं। अवैध अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई न होने से उनके हौसले बुलंद हो चुके हैं।कागजी आकड़ो के अनुसार शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक महज 29 नर्सिंग होम जिले में संचालित हैं। 16 क्लीनिक और 9 पॉलीक्लिनिक विभाग में पंजीकृत हैं। मगर महज अकेले शहर क्षेत्र में ही नर्सिंग होम, क्लीनिक व पॉलीक्लिनिक सैकड़ों की तादात में संचालित हो रहे हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग में इनकी संख्या कुल 54 है।
अब सवाल यह उठता है कि पंजीयन से करीब दोगुने की संख्या में यह मौत की दुकानें क्यों सजी हुई हैं? कौन है इनका असली संरक्षणदाता। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि कहीं न कहीं इन अवैध संचालकों को विभाग के जिम्मेदारों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिसके कारण इन अवैध अस्पतालों, क्लीनिको व पॉलीक्लिनिकों में इलाज में लापरवाही बरतने पर मरीजों की मौत हो जाती हैं। इसके बाद मृतकों के परिजन हंगामा करते हैं।
इतना सब कुछ होने के बाद भी विभागीय जिम्मेदारों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने से बेखौफ संचालकों द्वारा इलाज के नाम पर तीमारदारों से मोटी रकम ऐंठ ली जाती है। मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील भारती ने बताया कि अवैध नर्सिंग होम संचालन पर लगातार कार्रवाई की जाती है। हाल ही में राधे नर्सिंग होम में महिला की मौत का मामला संज्ञान में आया है। यदि अस्पताल अवैध है तो संचालक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।