भास्कर ब्यूरो
बिंदकी/फतेहपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है देश के हर एक नागरिक को एक ही धागे में पिरोकर देश को मजबूत बनाना और देश के अंदर विश्वास जगाना। लगभग दो साल होने को हैं, वन नेशन वन राशन कार्ड लागू किया गया जो पूरी तरह से सफल साबित हुआ है, अर्थात कोई भी कार्डधारक देश के किसी भी उचित दर विक्रेता के यहां से खाद्यान्न का उठान करके लाभान्वित हो सकता है। फिर भी देश के अलग अलग प्रदेशों में उचित दर विक्रेताओं के साथ कमीशन में भेदभाव किया जा रहा है, जिसकी मांग उठाते हुए उचित डर विक्रेताओं ने कहा कि अगर वन नेशन वन कार्ड हो सकता है तो सरकार को वन नेशन वन कमीशन भी करना चाहिए जिससे कोटेदारों के परिवार भी मेहनत की उचित कमाई कर जी सकें।
दिल्ली में 200 रुपए प्रति कुंतल दिया जाता है लाभांश
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग 80 हजार उचित दर विक्रेता प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार माह में दो बार खाद्यान्न का वितरण महामारी के दौर से कर रहे है, जिसका निःशुल्क लाभ बराबर लाभार्थियों को दिया जा रहा है। अंत्योदय और पात्र गृहस्थी के कार्डधारकों को गेंहू 2 रुपए तथा चावल 3 रुपए प्रति किलो की दर से राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम 2013 के अंतर्गत उपभोक्ताओं को दिए जाने हेतु तय किया गया है जिसमें कोटेदारों को लाभांश के तौर पर 70 पैसे प्रति किलो और 15 पैसे होम डिलेवरी अर्थात 85 पैसे प्रति किलो के अनुसार उनके खाते में भेजे जा रहे है।
वहीं दिल्ली सरकार वर्तमान समय में कोटेदारों को 2 रुपए किलो अर्थात 200 रुपए प्रति कुंतल की दर से लाभांश मुहैया करा रही है, शेष अन्य प्रदेशों में भी अलग-अलग लाभांश दिया जा रहा है, एक ही तरह की मेहनत में अलग अलग प्रदेशों में अलग अलग लाभांश किसी भेदभाव से कम नहीं है। गौर करने की बात यह है कि कोविड-19 जैसे महामारी को दरकिनार करते हुए उचित दर विक्रेता जिन्हें शासन-प्रशासन तथा उपभोक्ता आदि गलत नजरिए से आंकते हैं वही अपने और उपभोक्ताओं को दी गई गाइडलाइंस के अनुसार प्रति माह बचते और बचाते राशन वितरण का कार्य निर्भीक होकर करते रहे हैं, जिन्हें कोरोना वैरियर से कम नहीं आंका जा सकता। सस्ते दामों में सरकार द्वारा जो भी सामग्री उपभोक्ताओं को वितरण के लिए दी जाती है, उसे वितरण हेतु उचित दर विक्रेताओ से ही करोड़ों उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का काम करवाया जाता है।
कोटेदारों ने की ब्यवस्था में समानता की मांग
इस बाबत अतुल शुक्ला, मृगनैनी देवी, नीरजा शुक्ला, कमला देवी, विनय कुमार, संतोष कुमार, तबस्सुम अली, सुनीता गुप्ता, सुरेंद्र कुमार, राजेंद्र कुमार, जागेश्वरी देवी आदि कोटेदारों से जब वितरण कार्य प्रणाली के संबंध में जानकारी हासिल की गई तो सभी ने मिलकर एक स्वर में कहा कि खाद्य एवं रसद विभाग उ.प्र. तथा केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा जारी गाइडलांइस के अनुसार बायोमैट्रिक ऑनलाइन के माध्यम से उपभोक्ताओं के उंगलियों के निशान को ई-पॉश मशीन में स्कैन करके वितरण का कार्य किया जाता है।
महामारी के बारे में जब यह सवाल किया गया कि उन्होंने अपने आपको और उपभोक्ताओं को कैसे बचाया तो उन्होंने बताया कि केंद्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा मिली गाइडलाइंस के अनुसार ही वितरण कार्य किया गया और सभी को सुरक्षित रखा गया। लाभांश के बारे पूछने पर बताया कि जो भी मिलता है वह सारा पैसा पल्लेदारी, भाड़ा, और प्रतिदिन दुकान खोलने पर तीन सहयोगियों को रखने पर ही खर्च हो जाता है। सरकार ने अभी तक लाभांश के बारे में विचार नहीं किया, फिर भी उनसे आशा और विश्वास है। अंत में सभी विक्रेताओं ने कहा कि सभी विक्रेता सारा दिन दुकान खोलकर वितरण कार्य करते हैं किसी भी उपभोक्ता को निराश नहीं लौटना पड़ता किंतु हम सभी भुखमरी के कगार पर हैं, जिन्हे अपनी रोजी रोटी हेतु कमीशन बढ़ाए जाने के लिए “वन नेशन वन कमीशन” कानून बनाए जाने की मांग केंद्र तथा प्रदेश सरकार से की है जिससे ब्यवस्था भेदभाव मुक्त हो।