दैनिक भास्कर ब्यूरो ,
औंग, फतेहपुर । बिंदकी तहसील क्षेत्र के राशन कोटेदारों की एक बैठक शनिवार को संगठन के कैम्प कार्यालय में ब्लॉक अध्यक्ष राजकुमार सिंह की अध्यक्षता में आहूत की गई। जिसमें कोटेदारों ने सरकार की कोटेदार विरोधी कार्यनीतियों के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकालते हुए सरकार पर पिछले 13 वर्षों से भाड़ा व कमीशन न देने और कोटेदारों का शोषण करने का आरोप भी लगाया।
जिन्होंने अपनी पीड़ा ब्यक्त करते हुए कहा कि कोटेदारों का सन 2001 से 2014 तक के राशन उठान का भाड़ा और कमीशन सरकार के पास बकाया है जो अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है । यह बकाया धनराशि मिड डे मील योजना के खाद्यान्न की बताई जा रही है। सभी कोटेदारों की चीनी उठान की धनराशि आपूर्ति विभाग में लम्बे अरसे से जमा है , जबकि चीनी वितरण का काम सरकार की तरफ से लगभग समाप्त कर दिया गया है।
इसके बावजूद चीनी की रकम कोटेदारों को अभी तक नहीं लौटाई गई है। स्थानीय कस्बे के कोटेदार निहाल सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से कोटेदारों को भाड़ा , पल्लेदारी और कमीशन सहित प्रति कुंतल 90 रुपए कमीशन दिया जाता है जो कि पर्याप्त नहीं है। और ये भी बीच में 14 वर्षों का कमीशन दिया ही नहीं गया ।
खदरा गांव के कोटेदार दिलीप ने गणित समझाते हुए बताया है कि छोटी से छोटी कोटे की दुकान में औसतन प्रति माह 60 कुंतल अनाज की आमद होती है और सरकारी रेट के हिसाब से प्रत्येक कोटेदार का प्रति माह लगभग 54 सौ रुपए कमीशन बनता है और प्रति वर्ष 64 हजार 8 सौ रुपए। इस तरह से सरकार के पास करीब प्रत्येक कोटेदार का 14 वर्षों का 9 लाख 7 हजार रुपए फंसा हुआ है जो नहीं मिल रहा है।
इसलिए सभी कोटेदारों का धैर्य टूट गया और विरोध शुरू गया , इसके बाद अन्य रास्ते सरकार के खिलाफ अख्तियार किए जायेंगे । वहीं कीचकपुर गांव के कोटेदार तथा मलवां ब्लाक अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा कि दुकानों में अनाज भण्डारण के लिए गोदाम के रूप में उपयोग किए जा रहे भवनों का किराया सरकार की तरफ से देय नहीं है, इसी 90 रुपए प्रति क्विंटल कमीशन में ये भी जुड़ा है।
अनाज वितरण में कम से कम दो लोग पूरा दिन जुटे रहते हैं जिनके लिए सरकार ने कोई देय निर्धारित नहीं किया है। जबकि इस निःशुल्क अनाज योजना से ही दो पंचवर्षीय से सरकार का निर्माण हो रहा है और इसी योजना को चलाने में सरकार कोटेदारों का जमकर उत्पीड़न व दोहन कर रही है। जिसे बर्दाश्त करना अब कोटेदारों के वश में नहीं है।
कोटेदार संघ ने सरकार से 14 साल का बकाया कमीशन भुगतान समेत 30 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारण तथा अन्य समस्याओं के निस्तारण की मांग की है।
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