भास्कर ब्यूरो
अमौली/फतेहपुर। अमौली ब्लॉक के ग्राम पंचायत मदरी में तालाब खोजने पर उनका अस्तित्व जमीन पर नही सिर्फ सरकारी दस्तावेजो में ही बचा है। ग्राम प्रधान व लेखपाल की उदासीनता के चलते गांव की आबादी के बीच स्थित तालाब कूड़े कचरे से पटते जा रहे है। मौजूदा हालत में मदरी गांव के सभी तालाब समाप्ति की कगार में है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव के तालाबो की स्थिति दयनीय होने के कारण एकत्रित जल पशु-पक्षी के उपयोग लायक नही बचा है। जबकि शासन-प्रशासन ने लेखपालो से क्षेत्र के तालाबो की समीक्षा रिपोर्ट और वस्तु स्थिति की रिपोर्ट तलब कर असली स्वरुप में लाने का निर्देश दिया है।
प्रधान ने कहा सरकार कम देती है मनरेगा मजदूरी इसीलिए नहीं करवा रहे तालाब खुदाई का काम
ताकि जल संरक्षण के लिए तालाबों को कब्जा मुक्त कर सुन्दरीकरण किया जा सकें। इस बाबत मदरी ग्राम प्रधान लवकुश सचान का गैर जिम्मेदाराना बयान सामने आया है उनका कहना है कि मनरेगा मजदूरों की उपलब्धता न होने के कारण तालाब की खुदाई नही हो पा रही है और जेसीबी से तलाब खुदवाने का आदेश नहीं है।
सरकार मनरेगा मजदूरों को इतना कम 202 मजदूरी देती है कि गांव में कोई भी मनरेगा मजदूरी के लिए तैयार नहीं है जबकि अन्य जगह मजदूरी का 400 रुपये मिलता है। इसलिए हम मनरेगा के तहत काम नही करवाते है साथ ही तालाब का पट्टा होने का संदेह बताया।