फिटजी का प्रोग्राम ‘एकेडमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस’ के छात्रों को अपनी क्षमता का सदुपयोग कर एकेडमिक, करियर और जीवन में यात्रा में बना रहा सफल
कच्चे हीरे खदानों से प्राप्त होते हैं, जिन्हें आकर्षक और कीमती बनाने के लिए साफ कर, तराशा और पॉलिश किया जाता है। इस तरह कच्चे हीरे से तैयार हीरे बनाने की प्रक्रिया ‘मेटामोफोसिस’ कहलाती है। ‘मेटामोर्फोसिस’ का अर्थ है किसी चीज़ के रूप और उसकी संरचना में पूरी तरह से बदलाव लाना। इसी तरह बच्चे भी कच्चे हीरे की तरह होते हैं। जिनमें अपार क्षमता छिपी होती है, इस क्षमता को पहचान कर, इसे बढ़ावा देना और उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता के उपयोग में सक्षम बनाना जरूरी होता है।
भारत में कोचिंग शिक्षा में अग्रणी फिटजी, अपने कई प्रोग्रामों एवं इनोवेशन्स के साथ शिक्षा में बड़े बदलाव लाया है। यह एकमात्र संगठन है जो अपने सिस्टम ऐकडेमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस’ के माध्यम से हर छात्र की क्षमता को पहचान कर उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव और सुधार लाता है। इस सिस्टम के जरिए, छात्रों में छिपी क्षमता को पहचाना जाता है, उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता के उपयोग के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। हो सकता है कि हर छात्र दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सफलता हासिल न कर सके, लेकिन उनकी प्रतिभा को पहचान कर सही मार्गदर्शन दिया जा सकता है ताकि वे अपनी क्षमता का 400 फीसदी सदुपयोग कर सकें।
एकेडमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस शिक्षा प्रणाली में वैज्ञानिक रूप से डिजाइन की गई पढ़ाने के तरीके शामिल हैं, जो छात्रों की क्षमता को पहचान कर उन्हें मार्गदर्शन देते हैं और उन्हें बेहतर बनाते हैं, ताकि वे अपनी एकेडमिक, करियर और जीवन यात्रा में सफलता हासिल कर सकें। फिटजी के पढ़ाने के तरीके और कोर्स मटीरियल को वैज्ञानिक रूप से डिजाइन किया गया है, जो छात्रों को व्यवस्थित एवं सुनियोजित रूप से तैयारी करने में मदद करते हैं।
आज देश भर में बहुत से कोचिंग संस्थान चल रहे हैं, लेकिन इनमें से ज़्यादातर संस्थान विनियमित या पेशेवर नहीं है, उनके पास पढ़ाने के आधुनिक एवं उचित तरीकों का अभाव है। ऐसे में इनके कोर्स मटीरियल के औचित्य को लेकर आशंका बनी रहती है। इन संस्थानों के पास कोई डायग्नॉस्टिक सिस्टम नहीं होता, जिससे वे छात्रों की क्षमता को समझ सकें। इसलिए वे ऐसे छात्रों को एडमिशन दे देते हैं, जिनके पास कुछ परीक्षाओं के लिए सही क्षमता या एप्टीट्यूड नहीं होता। जिसके परिणामस्वरूप छात्र असफल हो जाते हैं और कुछ छात्र तो खतरनाक कदम तक उठा लेते हैं।
अगर संस्थान के पास छात्रों को पढ़ाने के सही तरीके न हों, तो छात्रों में सही कौशल और प्रतिभा को विकसित करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि हर छात्र की अपनी अलग क्षमता होती है। वे टाईम मैनेजमेन्ट के तरीके नहीं अपना पाते, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए बेहद जरूरी है। और यही पर फिटजी के तरीके कारगर साबित हुए हैं।
फिटजी के एकेडमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस प्रोग्राम की शुरूआत छात्र में छिपी क्षमता के मूल्यांकन के साथ होती है, इसमें वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए डायग्नॉस्टिक टेस्ट की मदद से उनकी क्षमता को पहचाना जाता है। यह टेस्ट उनके आईक्यू: एनालिटिकल स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग क्षमता और प्रोजेक्टेड रैंक इंडेस्कस का मूल्यांकन करता है। इससे संस्थान को आइडिया मिल जाता है कि छात्र में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने की कितनी क्षमता है।
इसके बाद छात्रों की प्रतिभा को विकसित किया जाता है। इसमें छात्रों की सोचने की क्षमता, लर्निंग की स्पीड और याद रखने की क्षमता पर ध्यान दिया जाता है। इसका उद्देश्य छात्रों का आईक्यू बढ़ाना है, ताकि वे न सिर्फ प्रतियोगी परीक्षाओं में बल्कि करियर और जीवन में भी सफलता पा सकें। कई सालों के अनुभव के साथ फिटजी ने प्रॉपराईटरी एकेडमिक सिस्टम ‘एकेडमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस’ का निर्माण किया है, जो बेहद कारगर साबित हुआ है।
फिटजी का एकेडमिक कल्ट मेटामो्फोसिस बेहद कारगर है। हो सकता है कि छात्र शुरूआत में जेईई, नीट या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता न पा सकें, लेकिन अगर उनमें कौशल, प्रतिभा और आत्मविश्वास को बढ़ाव दिया जाए तो वे इनका उपयोग कर अपने आगे के जीवन में निश्चित रूप से सफलता हासिल करेंगे। हो सकता है कि किसी छात्र को एकेडमिक सफलता न मिले लेकिन उसकी प्रतिभा एवं कौशल बेकार नहीं जाएगा। वे इस प्रतिभा का इस्तेमाल अपनी नौकरी, अपने व्यापार या करियर में कर सकते हैं। यानि इस प्रोग्राम के प्रभाव आजीवन उनके साथ रहेंगे।
छोटे पौधे की सही देखभाल करना बहुत ज़रूरी होता है, ताकि कोई जानवर इसे खा कर नष्ट न कर दे। लेकिन जब यह पौधा पेड़ बन जाता है, तो हाथी को भी इससे बांधा जा सकता है। ठीक इसी तरह अगर एक बच्चे की नींव मजबूत होगी तो उसकी प्रतिभा को हमेशा निखारा जा सकता है, और यही मजबूत नींव उसे जीवन में सफलता प्रदान करती है। एकंडमिक कल्ट मेटामोर्फोसिस कुछ इसी तरह से काम करता है। इसमें छात्र की पूर्ण क्षमता पर ध्यान दिया जाता है और उसें इस तरह से संवारा जाता है कि छात्र इस प्रतिभा का उपयोग कर अपने जीवन में तरक्की करें तथा समाज एवं देश के लिए अच्छे इंसान बनें।