विश्वकर्मा पूजा के शुभ अवसर पर आखिरकार शिवपाल यादव की गाड़ी में समाजवादी सेकुलर मोर्चा का नया झंडा लग ही गया। मोर्चा गठन के बाद से ही बगावती तेवर में नजर आ रहे शिवपाल ने कुछ दिन पहले सपा का झंडा अपनी गाड़ी से निकाल दिया था, जिसके बाद से सेकुलर मोर्चा के झंडे के रूप रंग को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई थी।
समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने के बाद से ही मुलायम सिंह यादव के हक और सम्मान की बात कर रहे शिवपाल सिंह यादव ने नए झंडे में नेताजी को भी जगह दी है। लाल, पीले और हरे रंग के इस झंडे में अब साइकिल की जगह नहीं है। इसमें एक तरफ शिवपाल की तो दूसरी तरफ बड़े भाई मुलायम यादव की तस्वीर है।
मालूम हो कि बीते 29 अगस्त को सपा संरक्षक शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चा का गठन किया था। हालांकि, समाजवादी पार्टी में रहने के बावजूद उन्होंने पांच सितंबर को अपनी गाड़ी से पार्टी का झंडा हटवा दिया था। इसके बाद से ही सेकुलर मोर्चा के नए झंडे को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे।
अपने भतीजे से निराश हुए शिवपाल इससे पहले ट्विटर हैंडल पर अपना परिचय बदलने के साथ ही अखिलेश यादव को अनफॉलो कर चुके हैं। इन सारे कदमों से शिवपाल ने समाजवादी सेकुलर मोर्चे को आगे बढ़ाने का संदेश दिया है।
धर, 16 सिंतबर को फैजाबाद में बहुजन क्रांति मोर्चा के बैनर तले आयोजित परिवर्तन महारैली में शिवपाल यादव ने कहा कि जिसकी जितनी संख्या हो, उसे उसी आधार पर आरक्षण देना चाहिए। उन्होंने फिर परिवार की राजनीति का दर्द बयां करते हुए कहा कि सपा के नए मुखिया की उपेक्षा के कारण नया मोर्चा बनाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि राजनीति करने का मेरा मकसद नहीं था। किसान परिवार में जन्म लेकर खेती-किसानी करके नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के साथ ही राजनीति शुरू की। जब हम सत्ता में आए तो प्रदेश के कोने-कोने में जाकर जनता का काम किया। कहा कि ये हमारे आदर्श रहे डॉ. लोहिया की धरती है। हम आज भी उन्हीं के आदर्शों पर चल रहे हैं। आजादी की लड़ाई हर वर्ग के लोगों ने लड़ी थी लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी अनुसूचित जाति के लोगों को पक्का मकान नहीं मिला।