पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर अदालत में पेश, 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे गए

वाराणसी । उत्तर प्रदेश के वाराणसी में शुक्रवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी व आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया। प्रभारी विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजीव मुकुल पाण्डेय की अदालत ने अमिताभ ठाकुर का पक्ष सुना। अदालत में पूर्व आईपीएस के अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व विकास यादव ने रिमांड का विरोध करते हुए दलील दी कि जिन मामलों में पुलिस उनका न्यायिक रिमांड बनवाना चाहती है, वह सभी धाराएं सात साल से कम के सजा वाली हैं। जिनमें गिरफ्तारी पर रोक हैं। इसके बाबत उच्चतम न्यायालय की नजीरों का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसे मामलों में न्यायिक रिमांड नहीं बनाया जा सकता है। वहीं, अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया कि मामला संज्ञेय अपराध से जुड़ा हैं। ऐसे में न्यायिक रिमांड बनाया जा सकता है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर का न्यायिक रिमांड मंजूर करते हुए उन्हें 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया।

बताते चले हिन्दू युवा वाहिनी के मंडल प्रभारी बड़ी पियरी निवासी अम्बरीश सिंह ‘भोला’ ने पिछले दिनों अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी डॉ. नूतन ठाकुर के खिलाफ चौक थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि 30 नवंबर को अमिताभ ठाकुर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन ( भोला) पर कफ सिरप की तस्करी में में संलिप्त होने के झूठे आरोप लगाए गए, जिससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को गंभीर आघात पहुंचा। इसी केस में वाराणसी चौक पुलिस ने अमिताभ ठाकुर को देवरिया से गुरुवार देर शाम लाकर यहां केंद्रीय कारागार वाराणसी में दाखिल कराया। शुक्रवार शाम में उन्हें कोर्ट में पेश कर उनका न्यायिक रिमांड बनाया गया गया। न्यायिक रिमांड बनने के बाद पुलिस उन्हें कड़ी सुरक्षा में लेकर देवरिया जेल के लिए निकल गयी।

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