तोशाखाना केस में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान खान की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें जमानत पर रिहा करने का फैसला सुनाया है। हालांकि, इससे पहले कि खान अटक जेल से बाहर आते, उन्हें सीक्रेट लेटर चोरी केस (साइफर गेट स्कैंडल) में हिरासत में ले लिया गया। यह जानकारी पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ ने दी है।
पूर्व कानून मंत्री और सरकारी वकील अता तराड़ ने जियो न्यूज से कहा- इमरान की सजा सस्पेंड हुई है। उन्हें बेल मिली है, लेकिन वो फिलहाल जेल से रिहा नहीं हो सकते। इसकी वजह ये है कि साइफर चोरी के मामले में अदालत ने जांच एजेंसियों को 14 दिन का फिजिकल रिमांड दिया है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के मुताबिक फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) और नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) की टीमें उनका इंतजार कर रही हैं।
इन दो मामलों में गिरफ्तारी तय
FIA को सीक्रेट लेटर चोरी (साइफर गेट स्कैंडल) और NAB को 9 मई को हुई हिंसा मामले में खान से पूछताछ करनी है। खास बात ये है कि NAB खान को 90 दिन तक पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में रख सकती है। इस दौरान उन्हें सुप्रीम कोर्ट समेत कोई अदालत जमानत भी नहीं दे सकेगी। राहत सिर्फ ये रहेगी कि खान को जेल के बजाय जांच एजेंसी के हेडक्वार्टर के कमरे में रखा जाएगा।
अब तोशाखाना केस को तफ्सील से समझिए
चुनाव आयोग के सामने पिछली सत्ताधारी सरकार पाकिस्तानी डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने तोशाखाना गिफ्ट मामला उठाया था। कहा था कि इमरान ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न देशों से मिले गिफ्ट को बेच दिया था। इमरान ने चुनाव आयोग को बताया था कि उन्होंने तोशाखाने से इन सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा था, बेचने पर उन्हें 5.8 करोड़ रुपए मिले थे। बाद में खुलासा हुआ कि यह रकम 20 करोड़ से ज्यादा थी। करीब दो साल पहले अबरार खालिद नाम के एक पाकिस्तानी शख्स ने इन्फॉर्मेशन कमीशन में एक अर्जी दायर की थी।
कहा- इमरान को दूसरे देशों से मिले गिफ्ट्स की जानकारी दी जाए। जवाब मिला- गिफ्ट्स की जानकारी नहीं दी जा सकती। खालिद भी जिद्दी निकले। उन्होंने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान से पूछा था- आप तोहफों की जानकारी क्यों नहीं देते? इस पर खान के वकील का जवाब था- इससे मुल्क की सलामती यानी सुरक्षा को खतरा है। दूसरे देशों से रिश्ते खराब हो सकते हैं। इसलिए अवाम को दूसरे देशों से मिले तोहफों की जानकारी नहीं दे सकते।
पत्नी बुशरा भी आरोपी
तोशाखाना केस दो तरह से चल रहा है। इसमें इमरान की सुनवाई अदालत में हो रही है। इसके अलावा उनकी पत्नी बुशरा बीबी को एंटी करप्शन एजेंसी पूछताछ के लिए बुला रही है, क्योंकि तोशाखाना के करोड़ों रुपए के तोहफे बुशरा ने ही बेचने के लिए दिए थे। बुशरा बीबी को भी जांच एजेंसी के सामने पेश होना है। अब तक कुल 13 बार बुशरा को जांच एजेंसी ने पेश होने के लिए नोटिस दिया है, लेकिन वो एक भी बार पेश नहीं हुईं। इसके बाद जांच एजेंसी ने अखबारों में एक इश्तिहार निकलवाया और कहा कि अगर बुशरा बीबी पेश नहीं हुईं तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया जाएगा।
इसके बाद इमरान ने एक पिटीशन लाहौर हाईकोर्ट में दायर की थी। कहा- मेरी पत्नी घरेलू महिला हैं और उनका सियासत से कोई ताल्लुक नहीं है। लिहाजा, उन्हें पूछताछ से राहत दी जाए। दूसरी तरफ, इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान के खिलाफ बेहद पुख्ता सबूत हैं और यही वजह है कि वो किसी न किसी बहाने से सुनवाई को लंबे वक्त तक लटकाना चाहते हैं।
क्या है साइफर गेट स्कैंडल या सीक्रेट लेटर चोरी केस
पिछले साल अप्रैल में सरकार गिरने के बाद इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि यह लेटर (डिप्लोमैटिक टर्म में सायफर) अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया। इमरान का दावा रहा कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन उनको प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती थी और अमेरिका के इशारे पर ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। ‘साइफर गेट या केबल गेट या नेशनल सीक्रेट गेट’ केस में इमरान का फंसना तय माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि जब वो प्रधानमंत्री थे, तब आजम खान उनके चीफ सेक्रेटरी थे। आजम से जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम (JIT) दो बार पूछताछ कर चुकी है। आजम ने बिल्कुल साफ कहा है कि उन्होंने यह साइफर इमरान को दिया था। बाद में आजम ने जब इसे खान से वापस मांगा तो उन्होंने कहा कि यह तो कहीं गुम हो गया है।
हैरानी की बात है कि खान ने बाद में यही साइफर कई रैलियों में खुलेआम लहराया। खान ने कहा- ये वो सबूत है जो यह साबित करता है कि मेरी सरकार अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराई। आजम के इकबालिया बयान ने यह तय कर दिया है कि इमरान चाहकर भी इसे झुठला नहीं सकेंगे। खास बात यह भी है कि आजम ने अपना बयान जांच एजेंसी और मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया है। इसकी कॉपी पर सिग्नेचर भी किए हैं।
इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हो चुका है कि यह ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस साइफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।
दोस्त को मोहरा बनाया
सबसे जरूरी यह जानना है कि इमरान जो कागज दिखा रहे था, वो वास्तव में है क्या। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट रिजवान रजी के मुताबिक- यह कागज झूठ के सिवाए कुछ नहीं था। कुछ महीनों पहले तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे असद मजीद। उनके बारे में ये जानना बेहद जरूरी है कि वो इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य और इमरान के खास दोस्त थे।
रजी आगे कहते हैं- इमरान ने मजीद को एक मिशन सौंपा कि किसी तरह जो बाइडेन एक फोन इमरान को कर लें। यह हो न सका। फिर खान ने मजीद से कहा कि वो ये बताएं कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन इमरान सरकार और पाकिस्तान को लेकर क्या सोच रखती है। जवाब में मजीद ने एक बढ़ाचढ़ाकर इंटरनल मेमो लिखा। इसमें बताया कि व्हाइट हाउस को लगता है कि इमरान सरकार के रहते पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते।
दोस्त को मोहरा बनाया
सबसे जरूरी यह जानना है कि इमरान जो कागज दिखा रहे था, वो वास्तव में है क्या। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट रिजवान रजी के मुताबिक- यह कागज झूठ के सिवाए कुछ नहीं था। कुछ महीनों पहले तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे असद मजीद। उनके बारे में ये जानना बेहद जरूरी है कि वो इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य और इमरान के खास दोस्त थे।
रजी आगे कहते हैं- इमरान ने मजीद को एक मिशन सौंपा कि किसी तरह जो बाइडेन एक फोन इमरान को कर लें। यह हो न सका। फिर खान ने मजीद से कहा कि वो ये बताएं कि बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन इमरान सरकार और पाकिस्तान को लेकर क्या सोच रखती है। जवाब में मजीद ने एक बढ़ाचढ़ाकर इंटरनल मेमो लिखा। इसमें बताया कि व्हाइट हाउस को लगता है कि इमरान सरकार के रहते पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते।
पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करेगी दुनिया
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी वकील और पॉलिटिकल एनालिस्ट साजिद तराड़ के मुताबिक- पहली बात तो यह कि यह ऑफिशियल कम्युनिकेशन नहीं था। यह एक एम्बेसेडर का अपने विदेश मंत्रालय को लिखा इंटरनल मेमो है, जिसकी कोई कानूनी या डिप्लोमैटिक हैसियत नहीं। हां, इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह नेशनल सीक्रेट होता है और इसका पब्लिक प्लेस पर न तो जिक्र किया जा सकता है और न दिखाया जा सकता।
तराड़ आगे कहते हैं- अमेरिका को अब पाकिस्तान की कोई जरूरत नहीं है।
अगर होगी भी तो वो इमरान से मंजूरी क्यों मांगता? वो फौज से बात करता है और करता रहेगा। इसे आप इंटरनल मेमो, इंटरनल केबल, वायर या बहुत हुआ तो डिप्लोमैटिक नोट कह सकते हैं। ये तो बेहद आम चीज है। इमरान की गलती की वजह से अब दूसरे देश भी पाकिस्तान पर आसानी से भरोसा नहीं करेंगे। पाकिस्तान के पूर्व रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टीवी चैनल पर खुलासा किया था कि इमरान की पार्टी PTI ने साजिश के मनगढ़ंत आरोपों के लिए अमेरिका से माफी मांगी है।
बकौल ख्वाजा आसिफ- हमारी सरकार के पास इस बात के सबूत हैं कि खान की पार्टी PTI ने अमेरिकी डिप्लोमैट डोनाल्ड लू से माफी मांगी। खान पहले अपनी सभाओं में अमेरिका के खिलाफ नारे लगा रहे थे, अब गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं। ख्वाजा आसिफ ने यह भी खुलासा किया कि, इमरान ने अमेरिका को मैसेज भेज कर संबंध सुधारने की ख्वाहिश जाहिर की है।