नयी दिल्ली, ) उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष मंगलवार को देश के पहले लोकपाल नियुक्त किये गये,
राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, “ भारत के राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए खुशी जाहिर की है। ”
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति दिलीप बी. भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी को लोकपाल का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है।
कोविंद ने श्री दिनेश कुमार जैन, श्रीमती अर्चना रामसुंदरम, श्री महेन्द्र सिंह और डॉ इंद्रजीत प्रसाद गौतम को लोकपाल का गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है।
ये सभी नियुक्तियां संबंधितों के पद ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होंगी।
जस्टिस घोष के साथ अन्य सदस्य भी नियुक्त
जस्टिस पी. सी. घोष को लोकपाल नियुक्त करने के साथ न्यायिक सदस्यों के तौर पर जस्टिस दिलीप बी. भोंसले, जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती, जस्टिस अभिलाषा कुमारी, जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी होंगे। न्यायिक सदस्यों के साथ ही कमिटी में 4 अन्य सदस्यों के तौर पर दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉक्टर इंद्रजीत प्रसाद गौतम भी शामिल किए गए हैं।
कौन हैं जस्टिस पीसी घोष
जस्टिस घोष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं। वह अपने फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार करते थे। जस्टिस घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। वह NHRC के सदस्य भी हैं।
बता दें कि लोकपाल नियुक्ति की सिलेक्ट कमिटी में प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस या उनके द्वारा नामित जज, नेता विपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष और एक जूरिस्ट होता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में नेता विपक्ष नहीं होने की स्थिति में विपक्षी दल के नेता को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल करने की बात सरकार ने कही थी।
चयन समिति की बैठक में नहीं गए थे खड़गे
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल कमिटी की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार करते हुए सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया था। हालांकि, तमाम विरोध के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने चुनावों से पहले लोकपाल नियुक्त करने का फैसला किया है।