मुंबई, । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजारों में अपना भरोसा कायम रखा है। विदशी संस्थागत निवेशकों ने नवंबर में अब तक 7276.62 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। बाजार से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा पूंजी इक्विटी सेक्टर्स में लगाई है। नवंबर महीने में एफपीआई की ओर से इक्विटी मार्केट से कुल 62881.21 करोड़ रुपये की निकासी की जा चुकी है, जबकि डेट मार्केट से 10256.52 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। इसी तरह, एफपीआई ने नवंबर में 73137.73 करोड़ रुपये की निकासी की है। निकासी के बावजूद एफपीआई ने भारतीय बाजार में निवेश पर जोर दिया है। एफपीआई ने इक्विटी मार्केट में कुल 63271.56 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि डेट मार्केट में 16616.35 करोड़ रुपये का ग्रॉस निवेश किया है। एफपीआई ने शेयर बाजारों में इस तरह कुल 79887.91 करोड़ रुपये का ग्रॉस निवेश किया है।
बाजार के निवेश आंकड़ों के अनुसार,
नवंबर महीने में एफपीआई ने (1 नवंबर से 20 नवंबर तक) इक्विटी मार्केट में 8348.3 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि 7707.29 करोड़ रुपये डेट मार्केट में लगाए हैं। हालांकि नवंबर महीने में एफपीआई ने इक्विटी मार्केट से -7957.95 करोड़ रुपये की निकासी की है। डेट मार्केट से -821.02 करोड़ रुपये की निकासी की है। एफपीआई नवंबर महीने में शेयर बाजारों से 8778.97 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी कर चुके हैं। इस दौरान 16055.59 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश भी किया है। इस तरह विदेशी संस्थागत निवेशकों ने नवंबर में 7276.62 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश कर भारतीय बाजारों पर भरोसा बनाए रखा है।
इससे पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर महीने में पूंजी बाजार से कुल 38,900 करोड़ रुपये की निकासी की थी। यह एफपीआई की ओर से पिछले दो साल की सबसे बड़ी निकासी रही है। एफपीआई ने इससे पिछले सितंबर 2018 में पूंजी बाजार (शेयर और ऋण) से कुल 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। हालांकि जुलाई-अगस्त 2018 में विदेशी निवेशकों ने केवल 7,500 करोड़ रुपये का ही निवेश किया था।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक
रुपये में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट ने भारतीय बाजारों के प्रति निवेशकों का नजरिया बदला है। एफपीआई के रुख को भी बदलने में शेयर बाजार सफल रहे हैं। इसके अलावा, वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर से उभरते बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में वृद्धि से दुनियाभर में निवेशकों के लिए जोखिम खड़ा हो गया है। निवेशक सुरक्षित विकल्प की तलाश में हैं। हालांकि अगले एक महीने में विदेशी निवेशकों से ज्यादा निवेश की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। विदेशी निवेशक रुपये और कच्चे तेल की चाल, घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति, आगामी विधानसभा चुनावों और उसके बाद आम लोकसभा चुनाव पर नजर बनाए हुए हैं।