नई दिल्ली। केरल में निपाह वायरस से वहां के स्थानीय लोग डरे हुए हैं, लोगों ने फल खाना लगभग छोड़ ही दिया है। लेकिन निपाह वायरस को लेकर अब एक और बड़ा खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ नहीं बल्कि कोई और है।
यह खुलसा केरल की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निपाह वायरस के फैलने के लिए चमगादड़ जिम्मेदार नहीं हैं। निपाह वायरस से सबसे पहले कोझिकोड के चंगारोथ गांव में एक व्यक्ति की मौत हुई थी। जब उसके खून की जांच की गई तो उसमें एनआईवी के नमूने नहीं मिले।
प्रयोगशाला की रिपोर्ट में अब यह दवा किया जा रहा है
एनआईवी के नमूने ना मिलने से यही साफ होता है कि इस वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ नहीं बल्कि खुद इंसान ही है। भोपाल के राष्ट्रीय संस्थान (आईएचएसएडी) ने जो की आईसीएआर और पशुओं की बीमारी पर काम करते है उन्होंने परीक्षण संबंधी नतीजे का विश्लेषण किया।
आईएचएसएडी ने कहा, पहले की रिपोर्ट में यह संदेह जताया गया था कि केरल में निपाह वायरस के फैलने की वजह चमगादड़ हैं लेकिन हमारे विश्लेषण में हमने पाया कि निपाह वायरस जिनोम के सभी नमूने निगेटिव मिले हैं। केरल हेल्थ डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, 21 चमगादड़ों के खून सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था लेकिन सभी नेगिटिव निकले हैं।
अधिकारी के मुताबिक
चमगादड़ों के खून सैंपल नेगिटिव आने के बाद और भी जानवारों जौसे, गाय, बकरी, खरगोश, कुत्ते और बिल्लियों के भी खून की जांच की गई लेकिल उनमें भी निपाह के निशान नहीं पाए गऐ। हालांकि एक्सपर्ट्स अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहते वह अभी और गहन जांच की करेंगे।
बता दें कि, निपाह वायरस के इंफेक्शन से ब्रेन में सूजन आ जाती है। इसके साथ ही बुखार, सिरदर्द, चक्कर, मानसिक भ्रम, कोमा भी इस इंफेक्शन के लक्षण हैं। यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे मौत भी हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति में इस इंफेक्शन के लक्षण 24-28 घंटे में बढ़ जाते हैं तो वो कोमा में भी जा सकता है। इस वायरस के इंफेक्शन के कारण सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।