हमारा भारत त्यौहारों का देश भी कहा जाता है, यहाँ एक के बाद एक लगातार त्यौहार धूम-धाम से मनाए जाते हैं। जानकारी के लोए बताते चले त्यौहारों की शुरुआत प्रथम पूज्य कहे जाने वाले भगवान श्री गणेश के आगमन यानी कि गणेशोत्सव से होने जा रही है। इस साल यानि 2019 में गणेश चतुर्थी 2 सितंबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था इसी कारण से यह चतुर्थी मुख्य गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी कहलाती है।
बताते चले हमारे भारत देश में इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान 10 दिन तक भगवान गणेश हर घर में विराजमान होते हैं। पूरे विधि-विधान के साथ गणेश जी की स्थापना की जाती है और 10 दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। विशेष मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना की जाती है। आइए जानते हैं गणेश जी की स्थापना का मुहूर्त और पूजा विधि
गणेश जी की स्थापना का विशेष मुहूर्त
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त :
2 सितंबर सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजे से 37 मिनट तक।
अवधि :
2 घंटे 32 मिनट
गणपति महाराज विघ्नों को दूर करने वाले एवं मंगल करने वाले मंगलमूर्ति देव कहे जाते हैं। किसी भी देव की पूजा या कोई मंगल कार्य बिना गणेश जी की पूजा के नहीं होता है। गणेश जी को प्रथम पूज्य का वरदान स्वयं भगवान महादेव के साथ सभी देवता गणों ने दिया था। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति को घर में विराजमान करने का विधान है।
सबसे पहले हम जितने भी दिन के लिए गणेश जी की सेवा करें उतने दिन का संकल्प लें और अपने दाएं हाथ में अक्षत (चावल), गंगाजल, पुष्प और कुछ द्रव्य लेकर संकल्प करें कि हम गणेश जी को अपने घर में तीन, पांच, सात या दस दिन के लिए विराजमान करेंगे। ‘ऊं गणेशाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
संकल्प लेने के बाद घर-द्वार की साफ-सफाई कर सजने-संवारने के बाद गणेश जी की मूर्ति ले आएं। जिस स्थान पर गणेश जी को विराजमान करना हो उस स्थान को पवित्र और साफ कर लें।
अब आह्वान करें कि हे गणपति, हम आपको अपने घर में इतने दिन के लिए लेकर आए हैं। अपने समस्त परिवार के सभी सदस्यों के नाम, अपना अमुक गोत्र दोहराकर कहें कि हम अपने घर में सुख शांति एवं समृद्धि के लिए आपको प्रतिष्ठापित कर रहे हैं।
निश्चित दिन पर आप गणेश जी को अपने घर में विराजमान करें। कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। हल्दी की चार बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत (चावल) रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम, जामुन के पत्तों एवं अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं।
एक तांबे का कलश पानी भरकर उसमें एक सिक्का एक सुपारी और लाल पुष्प डाल दें फिर आम के पांच, सात, या नौ पत्ते और नारियल से कलश को सजाएं।
जब गजानन को लेने जाएं तो स्वच्छ और नवीन वस्त्र धारण करें। यथासंभव हो तो चांदी, तांबे या पीतल की थाली में स्वास्तिक बनाकर, फूल-मालाओं से सजाकर उसमें गणपति को विराजमान कर अपने घर लाएं।
प्रतिमा बड़ी हो तो आप अपने हाथों में या सर पर रखकर भी ला सकते हैं। जब घर में विराजमान करें तो उनका मंगलगान या कीर्तन करें। गणपति को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। लाल पुष्प चढ़ाएं। प्रतिदिन की पूजा में प्रसाद के लिये पंच मेवा अवश्य रखें।
गणेश जी के आगे एक छोटी कटोरी में पांच छोटी इलायची और पांच कमलगट्टे रख दें। गणेश जी जब तक स्थापित हैं इनको गणपति के आगे ही रहने दें। बाद में इसे एक लाल कपड़े में रखकर पूजा स्थल पर रहने दें और छोटी इलायची को गणपति का प्रसाद मानते हुए ग्रहण कर लें।
यह समस्त कार्यों की सिद्धि का उपाय है। इस प्रकार सभी कष्ट समाप्त होते हैं। चंद्रमा, राहू, केतू की छाया भी अशुभता नहीं फैलाएगी।
आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:।
ॐ नारायणाय नम:।
ॐ माधवाय नम:।
इन मंत्रों के साथ हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें। ॐ ऋषिकेशाय नम: कहकर हाथ धो लें।
इसके बाद अपने शरीर पर जल छिड़ककर शुद्धि करें। इस दौरान इस मंत्र का जाप करें…
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
1. आह्वान 2. आसन 3. पाद्य 4. अर्घ्य 5. आचमन 6. स्नान 7. वस्त्र 8. जनेऊ 9. पुष्प, पुष्प मालाएं 10. गंध 11. पुष्प 12. धूप 13. दीप 14. नैवेद्य 15. ताम्बूल 16. अंत में प्रदक्षिणा (परिक्रमा) व पुष्पांजलि अवश्य करें।
जल से भरा हुआ कलश गणेश जी के बाईं तरफ रखें।
चावल या गेहूं के ऊपर गणेश जी को स्थापित करें।
कलश पर कलावा या मौली बांधें एवं आम के पत्तों के साथ एक नारियल को कलश के मुख पर रखें।
गणेश जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखें।
गणेश जी का जन्म मध्याह्न (दिन के समय) में हुआ था, इसलिए मध्याह्न (दिन के समय) में ही प्रतिष्ठापित करें।
10 दिन या जितने भी दिन का संकल्प लिया हो तब तक नियमित समय पर आरती करें।
प्रतिदिन की पूजा का समय निश्चित रखें। जाप माला की संख्या भी निश्चित रखें।
गणेश जी के सम्मुख बैठकर उनसे मन ही मन संवाद करें एवं उनके मंत्रों का जाप करें।
गणेश जी के साथ ही पूरे शिव परिवार की आराधना अवश्य करें।
यदि आपका सामर्थ्य न हो तो घर में गोल सुपारी गणेश और पीली मिट्टी से गणेशाकृति बनाकर उनको भी स्थापित कर सकते हैं। इसमें कोई दोष नहीं लगता है।सुपारी गणेश और पीली मिट्टी के गणेश जी बनाकर स्थापित करने से वास्तु दोष भी समाप्त होते हैं। लेकिन ये ध्यान रहे कि उनकी पूजा नियमित हो। मिट्टी के गणेश जी का स्नान नहीं हो सकता, इसलिए गंगाजल के छींटे लगा सकते हैं।