- कैसरगंज की लोकसभा सीट पर अभी दो ही प्रत्याशी मैदान मे
- बसपा व कांग्रेस अभी प्रत्याशियों के चयन मे जातीय समीकरण को लेकर कर रही है माथा-पच्ची
- क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य होने के कारण “जनेऊ” पर गड़ी है दिग्गजो की नजर

क़ुतुब अंसारी / अशोक सोनी
जरवल (बहराइच ) कैसरगंज संसदीय सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी से बाहुबली फायर ब्राण्ड सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के अलावा प्रगति शील समाज वादी पार्टी से धनंजय शर्मा ही चुनावी अखाड़े मे लंगोट कसे दिख रहे हैं जो अपने संसदीय सीट की पांचो विधानसभा इलाके मे कही नुक्कड़ सभा कही चौपाल तो कही जातीय सम्मेलन कर वोटरों के पास हौले-हौले पहुँच कर माथा टेकना शुरू कर दिया है ।उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोक सभा की सीट काफी प्रतिष्ठा की तो जरूर है जिस पर विभिन्न राजनैतिक दलों की निगाह हमेशा रहती है पर घाघरा की तराई पर बसे यहाँ के वोटरों की मूलभूत सुविधाओं से दूर किसी भी राजनैतिक पार्टी के नेताओ ने अभी तक उनके दर्द को समझा ही नही जो चुनाव के इस महासमर मे जागरूक हो चुके मतदाताओ की खामोशी शायद प्रत्याशियों के “गुण व दोष’ को लेकर इस बार अपना मतदान करे जिसकी मंशा भी प्रत्याशी भाप रहे हैं
जिससे इस सीट पर दिग्गजो को अभी से पसीना छूट रहा है।इस संसदीय सीट पर कुल मतदाताओ की संख्या 17,11,946 बताई जा रही है जिसमे नौ लाख से ज्यादा पुरुष व आठ लाख के करीब महिलाओं की बताई जा रही है।अब जातीय आंकड़ो पर गौर करे तो सुनने मे आ रहा है कि चार लाख के ऊपर ब्राह्मण,तीन लाख के करीब मुस्लिम,दो लाख के कारीब यादव,ठाकुर भी तकरीबन इतने के अलावा कुर्मी भी सवा लाख के करीब एवं दलित भी ढाई लाख के करीब शेष अन्य जातियों का यहाँ पर काफी दखल है जिसका गुणा-भाग अभी भी गठबंधन के सपा व बसपा के राजनैतिक पण्डित नही लगा पाए है।
जिस कारण इन दो दलों के शीर्ष नेता अभी भी प्रत्याशियों के लिए माथा पच्ची कर रहे हैं।हालांकि यह सीट गठबंधन मे बसपा के झोली मे जरूर गई है पर प्रत्याशी चयन मे हो रही देरी वोटरों को कुछ और संदेश भी देना शुरू कर दिए है।कामोवेश कांग्रेस पार्टी का भी यही हाल है कि वह भी अपना प्रत्याशी अभी तय नही कर सकी है जो दिनों दिन अब लोगो की चर्चा का विषय बनती जा रही है।वैसे राजनीति के अन्दर खाने की माने तो जल्द ही कांग्रेस व बसपा ब्राह्मण प्रत्याशियों पर ही दांव लगाएगी जो यहाँ हैट्रिक मारने जा रहे भाजपा के बाहुबली सांसद की डगर रोक सके।वैसे यदि ये सीट गठबंधन मे सपा की झोली मे आती तो चुनाव बडा ही रोचक होता इसमे भी दो राय नही फिर भी सभी प्रत्याशियों के नामांकन के बाद ही यहाँ की धुंधली तस्वीर साफ नजर आवेगी जो अभी फिलहाल भविष्य के गर्भ मे ही है।