नई दिल्ली । संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को लोकसभा में अगड़ी जातियों के गरीब तबके के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले को मंजूरी दिलाने के लिए केंद्र सरकार संविधान संशोधन पेश कर सकती है। इसी के मद्देनजर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सदस्यों की सदन में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी किया है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने भी अपने सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार अगड़ी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के फैसले को मंजूरी प्रदान करने के लिए संविधान संशोधन पेश करेगी। लोकसभा में इस संविधान संशोधन को मंजूरी दिलाने के बाद उसे उच्च सदन में पेश करने के लिए राज्यसभा का सत्र एक दिन बढ़ाकर नौ जनवरी तक कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का फैसला किया गया है। यह व्यवस्था पहले से 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा। इसके लिए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन का निर्णय लिया है, जिसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़ों को धारा 15 के तहत शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलेगा तथा धारा 16 के अंतर्गत नौकरी में आरक्षण प्रदान किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से विभिन्न धर्मों के गरीब तबके के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। देश में मौजूदा समय में 49.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। इसमें अनुसूचित जाति (एससी) को 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण तय है। सरकार के इस फैसले के बाद यह बढ़कर 59.5 प्रतिशत हो जाएगा।
संसद में सरकार के सामने बड़ी चुनौती
संसद का शीतकालीन सत्र पूरी तरह से राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी को लेकर हो रहे हंगामे में बीता. अब आज सत्र का आखिरी दिन है, ऐसे में सरकार के सामने इस बिल को पेश करने और पास करवाने की चुनौती है. वो भी तब जिस दौरान विपक्ष पूरी तरह से आक्रामक है. सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार इस बिल को पास कराने के लिए सत्र को आगे बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है.
गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर सरकार को संविधान संशोधन बिल को लागू करवाना है तो उसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पास करवाना जरूरी है. लोकसभा में तो एनडीए सरकार के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष की स्थिति मजबूत है. ऐसे में सरकार की अग्निपरीक्षा होना तय है.
हां-हां, ना-ना में फंसा विपक्ष
केंद्र सरकार के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक इसलिए भी माना जा रहा है कि कई पार्टियां इसकी मांग पहले से करती आई हैं. यही कारण रहा कि सोमवार को जब कैबिनेट का फैसला आया, तो किसी भी राजनीतिक दल ने इसका पुरजोर विरोध नहीं किया. बस, चुनाव से पहले ऐलान करने के लिए सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिए.
कांग्रेस ने सोमवार को ही साफ कर दिया था कि पार्टी इस फैसले का समर्थन करेगी, लेकिन नरेंद्र मोदी युवाओं को रोजगार कब देंगे. हालांकि, कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के अलावा कई अन्य पार्टियों ने भी सरकार के फैसले का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया है.
क्या है मोदी कैबिनेट का फैसला?
दरअसल, सोमवार को सभी को चौंकाते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया. इस फैसले के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समाज के लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से कुछ शर्तें भी रखी गई थीं.
किन सवर्णों को मिलेगा आरक्षण का लाभ?
– जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो
– जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम की खेती की जमीन हो
– जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
– जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
– जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
– जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे