नई दिल्ली, । सामान्य वर्ग के आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत तक आरक्षण देने संबंधी ऐतिहासिक संविधान (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा से भारी बहुमत से पारित होने के साथ संसद से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 165 और विरोध में 7 मत पड़े। मतविभाजन के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने घोषणा की कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 सदन की कुल सदस्य संख्या के आधे और सदन में मौजूद सदस्यों के दो तिहाई से अधिक के बहुमत से पारित हो गया।
Parliament passes bill granting 10% quota to economically-weaker sections of general category
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— ANI Digital (@ani_digital) January 9, 2019
कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया
इससे पहले विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने के प्रस्ताव को भी सदन ने बहुमत से अस्वीकार कर दिया। सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित होने के बाद आज राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक पर करीब 10 घंटे सदन में चर्चा की गई। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने विधेयक को राज्यसभा में पेश करते और चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इससे लाखों-करोड़ों सामान्य वर्ग के गरीबों का सशक्तिकरण होगा और विचार-विमर्श के बाद ही यह विधेयक लाने का फैसला लिया गया है।
Union Minister Thawar Chand Gehlot on 10% quota bill in Rajya Sabha: This bill will uplift the poor of the nation. This decision has been taken with thorough consideration; Opposition comes into the well of the House as the minister speaks on the Bill. pic.twitter.com/THZVUmiicZ
— ANI (@ANI) January 9, 2019
इस दौरान कांग्रेस के सदस्य सभापति के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। सदन में शोर शराबे के बीच गहलोत ने कहा कि विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करने का प्रस्ताव है । इन अनुच्छेदों में आरक्षण के लिए आर्थिक आधार को शामिल किया गया है जिसके बाद सामान्य श्रेणी के आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोग सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अधिकतम10 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त कर सकेंगे।
Passage of The Constitution (One Hundred And Twenty-Fourth Amendment) Bill, 2019 in both Houses of Parliament is a victory for social justice.
It ensures a wider canvas for our Yuva Shakti to showcase their prowess and contribute towards India’s transformation.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 9, 2019
सरकारी और निजी शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण की व्यवस्था की गई है लेकिन यह व्यवस्था अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं पर लागू नही होगी। विधेयक में इसके उद्देश्यों और इसे सदन में पेश किए जाने का भी उल्लेख है। इसके अनुसार, संविधान के नीति निर्देशक तत्व संबंधी अनुच्छेद 46 में उल्लेख है कि सरकार अनुसूचित जातियों, जनजातियों सहित समाज के कमजोर तबकों की शिक्षा एवं अर्थ संबंधी हितों पर विशेष ध्यान देगी और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से उनकी संरक्षा करेगी। वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लोग आरक्षण का फायदा उठाने के पात्र नही माने जाते। इस बाधा को दूर करने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन करने का फैसला किया गया है।
Union Law Minister Ravi Shankar Prasad in Rajya Sabha on #QuotaBill: Cricket mein chhakka slog over mein lagta hai, jab match close hota hai tab lagta hai. Agar aapko issi pe pareshani hai, to yeh pehla chakka nahi hai, aur chakke aane wale hain. pic.twitter.com/f6yNjppFDB
— ANI (@ANI) January 9, 2019
इस बीच माकपा के डी राजा ने कहा इस तरह के विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह काफी अहम संविधान संशोधन विधेयक है। वहीं, अन्नाद्रमुक की कनिमोझी ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने की जरुरत बताई। विधेयक पर चर्चा के दौरान लगभग सभी पार्टियों के बड़े नेताओं ने अपना पक्ष रखा। उल्लेखनीय है कि सामान्य आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबके के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत तक आरक्षण देने संबंधी ऐतिहासिक संविधान (संशोधन) विधेयक गत मंगलवार को लोकसभा से भारी बहुमत से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 323 और विरोध में 3 मत पड़े ।
लोक-कल्याण का निरंतर प्रयास है,
जन-जन का साफ नीयत में विश्वास है,
चरितार्थ होता 'सबका साथ-सबका विकास' है।आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाले विधेयक के राज्य सभा में पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी जी को हार्दिक बधाई और इसका समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार।
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) January 9, 2019
‘BSP बोली, छक्का सीमा पार नहीं जाएगा’
इससे पहले चर्चा के दौरान राज्यसभा में कुछ दिलचस्प दावे सुनने को मिले। विपक्षी सांसदों ने चुनाव से ठीक पहले इस बिल को लाने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए। वहीं, सरकार ने बिल को ऐतिहासिक बताते हुए इसे मैच जिताने वाला छक्का बताया। इस पर BSP ने दावा किया कि यह छक्का सीमा पार नहीं जा पाएगा। दरअसल, उच्च सदन में 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि यह विधेयक सरकार के लिए स्लॉग ओवर में मैच जिताने वाला छक्का साबित होगा।
बाद में बीएसपी नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने सरकारी क्षेत्र में रोजगार के बेहद कम अवसर होने की ओर ध्यान दिलाया और इस विधेयक को एक ‘छलावा’ बताया। उन्होंने कहा कि दो दलों (BSP और SP) के राष्ट्रीय अध्यक्षों की नववर्ष पर मुलाकात के बाद से ही सरकार दहशत में आ गई और रातों-रात यह विधेयक तैयार किया गया।
टाइमिंग को लेकर कांग्रेस ‘नाखुश’
वहीं, कांग्रेस ने कहा कि वह सामान्य श्रेणी के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को मंजूरी देने का स्वागत करती है। हालांकि, कांग्रेस ने इसके समय को लेकर सवाल उठाया, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि इसे क्यों अचानक से लाया जा रहा है। यह (संसद का) अंतिम सत्र है, इसके बाद चुनाव है।’
शर्मा ने कहा कि बीजेपी साढ़े चार वर्षों के शासन के दौरान विधेयक क्यों नहीं लाई? उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी ने हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद इस फैसले पर जोर दिया है। आनंद ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा कि अगर 10 फीसदी आरक्षण लागू होता है तो किन लोगों को फायदा होगा।
रामविलास पासवान ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री एवं LJP प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि ऊंची जाति के कई लोगों ने पिछड़ी जाति के लोगों को आरक्षण प्रदान करने में बीज देने का काम किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ऊंची जाति के लोगों में भी गरीबी बढ़ी है और उनकी कृषि भूमि का रकबा घटा है। उन्होंने कहा कि आज जब इस वर्ग को आरक्षण देने की बात आई है तो हम सभी को कंधे से कंधा मिलाकर इसके लिए संघर्ष करना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री थावरचंद ने दिया जवाब
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि आज यह सदन एक ऐतिहासिक निर्णय लेने जा रहा है। इससे लाखों गरीब परिवारों को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने कहा कि जिसने जिस ढंग से सोचा उस प्रकार से विचार रखे। नरेंद्र मोदी सरकार ने अच्छी नीति और अच्छे इरादे से इस बिल को सामने रखा है।
गहलोत ने आगे कहा कि मैं आनंद शर्मा और उनकी पार्टी से पूछना चाहता हूं कि उनके घोषणा पत्र में भी सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण की बात थी तो वह कौन सा रास्ता था जो आप अपनाते? उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस बिल को लेकर कोई सुप्रीम कोर्ट जाता है तो विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट भी इसके संवैधानिक पहलू को देखेगा।