लड़कियों को लेकर ये समाज शुरू से ही बेफिक्र रहा है, जी हां, ऐसा लगता है कि क्या इस सामाज को लड़कियों की जरूरत नहीं है, या फिर, वो ये भूल गया है कि, हम लड़कियां ही है जिनके घरों में रोशनी बनकर जगमगाते है, जिनके घरों में इन लड़कियों से एक चिराग पैदा होता है, इसके बाद इस समाज को हर पल लड़कियों में कमियां ढ़ूढ़ने के सिवा कुछ और नज़र नहीं आता है, आजकल हर टीवी न्यूज चैनल लड़कियों की वारदात जैसी खबरों से भरा पड़ा है, आयेदिन लड़कियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आजतक कोई ऐसा कानून नहीं बना जो उन दरिंदों को ये सबक सिखा सके कि किसी के घर की इज्जत पर बुरी नजर डालना एक दिन उसे जलाकर राख कर देगा, लेकिन इन दरिंदों का क्या, क्योंकि इन्हें तो बस अपनी हवस मिटाने के लिये वो न ही किसी की मां को अपनी मां समझते है और न ही किसी की बहन को अपनी बहन, उसे तो सिर्फ अपनी हवस मिटाने का भूत सवार होता है।
आजकल के समाज में तो आपने जीता जागता उदाहरण देखा ही होगा, दिल्ली में “श्रद्धा मर्डर केस” जिसने पूरे देश की रूह कपा कर रख दी, प्रेमी आफताब और प्रेमिका श्रद्धा ये दोनों एक-दूसरे को बेपनाह प्यार करते थे, लेकिन शादी की बात पर प्रेमी को इतना गुस्सा आया कि एक दिन उसने अपनी प्रेमिका की हत्या कर दी, प्यार इतना कि हत्या के समय उसके हाथ तक नहीं कांपे और तो और इससे भी मन न भरा तो शव के 35 टुकड़े कर दिए, और उन्हीं टुकड़ों के साथ उसने कुछ राते भी गुजारी, लेकिन हद तो तब हो जाती है जब ऐसे मामलों की गुत्थी सुलझी नहीं कि झारखंड़ के साहेबगंज में दिलदार अंसारी ने अपनी पत्नी रिबिका पहाड़िन के 50 से ज्यादा टुकड़े कर दिए।
ऐसे कई मामलों की लिस्ट पुलिस के दफ्तर में पड़े-पड़े कीड़े-मकोड़े का नास्ता बन कर रह जाता है, लेकिन इन मामलों में न्याय मिलने के बजाय महिलाओं के साथ क्रूर्रता और बढ़ती ही जाती है, ऐसा लगता है कि महिलाओं के लिये को इस सरकार के पास कोई कानून ही नहीं है, और न कभी होगा, क्योंकि इस सरकार को तो महिलाओं से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता लगी रहती है इसलिए चुनावी वक्त पर टकटकी लगाए बैठे इन नेताओं को वोट लेने के लिए जनता की दहलीज याद आने लगती है, लेकिन आज आप सभी महिलाओं से यहीं कहना चाहूंगी कि खुद की रक्षा करनी है तो वो मर्दांगिनी बनकर चलों, जो हमारे देश में झांसी की रानी बनकर चली थी। ताकिं तुम्हारा दुश्मन भी तुमपर अपना बाल भी बाका न कर सके।