गोवा के जात्रा उत्सव में अंगारों पर क्यों चलते हैं? क्या है लैरोई देवी की मान्यता

Goa Jatra Festival : गोवा के लैरोई मंदिर में आयोजित जात्रा उत्सव एक पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक मेला है। इसमें शरगांव में स्थित लेरौई देवी मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। इस उत्सव में अंगारों पर चलने की मान्यता है, जिसमें श्रद्धालु भाग लेते हैं। उत्सव के दौरान पारंपरिक गीत, नृत्य, मेला और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। इस दौरान मंदिरों में विशेष पूजा, जुलूस, और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो सदियों से चली आ रही परंपराओं का हिस्सा हैं।

जात्रा उत्सव क्या है?

जात्रा का अर्थ है “यात्रा” या “मेला”, और यह त्योहार स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। गोवा का जात्रा उत्सव एक पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक समारोह है जो विशेष रूप से शिरगांव के मंदिर में मनाया जाता है। यह उत्सव मुख्य रूप से लैराई देवी मां की पूजा और यात्रा के लिए आयोजित किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

क्या है लैरोई देवी की मान्यता

लैराई देवी को गोवा, महाराष्ट्र और कर्नाटक की लोककथाओं में महत्वपूर्ण देवी माना जाता है। इन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है।  इस उत्सव में श्रद्धालु आग के चारों ओर बैठकर मन्नतें मांगते हैं, अंगारों पर चलते हैं, और विभिन्न रीति-रिवाज निभाते हैं। इसमें हजारों भक्त भाग लेते हैं और यह त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सभी दृष्टियों से खास होता है।

यह जात्रा गोवा की लोककथाओं, परंपराओं और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, जिसमें लोग अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए भाग लेते हैं।

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