तपस्या और निश्छल प्रेम से प्रकट होते हैं भगवान


भास्कर समाचार सेवा
कुसमरा/मैनपुरी। नगर क्षेत्र के ग्राम बुढ़ौली में सुनील कुमार के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास अनूप वशिष्ठ कान्हा जी महाराज ने भक्त ध्रुव प्रसंग सुनाते हुए कहा कि तपस्या और निश्छल प्रेम से भगवान भक्त के सामने प्रकट होते हैं।
शनिवार को कथा व्यास ने कहा कि अबधपुरी नगरी में राजा उत्तानुपाद के दो पत्नियों में एक का नाम सुनीति और दूसरी को नाम सुरुचि था। सुरुचि के कहने पर उत्तानुपाद ने सुनीति को जंगल भेज दिया था। एक दिन सुनीति का पुत्र खेलते-खेलते राज दरबार जा पहुंचा और उत्तानुपाद की गोेदी में बैठ गया। सुरुचि ने उसे फटकारते हुए गोद से उतार कर भगा दिया। इससे दुखी बालक ध्रुव जगंल में तपस्या करने लगा। भीषण बारिश और आंधी, तूफान भी उसे डिगा नहीं सके। नारद मुनि के समझाने पर भी ध्रुव ने तपस्या नहीं छोड़ी। कठिन तपस्या देख भगवान ध्रुव के सामने प्रकट हुए और उन्हें ब्रह्मांड में अटल पदवी दी। आज भी ध्रुव तारा अपने स्थान पर अटल रहते हुए चमक बिखेरता है। इसके अलावा उन्होंने शिव पार्वती विवाह की कथा का भी मनोहारी व्रतांत सुनाकर श्रोताओं को भवभिभोर कर दिया। कथा में नगला नीम, हुसैनपुर, हिरौली, भीखपुरा, किठाह, धमियांपुर, जवापुर, नगला भज्ज, नगला गुल्ल सहित दर्जनों गांव भक्तगण प्रतिदिन आ रहे हैं।

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