
गोंडा । योगी सरकार में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस चल रहा है लेकिन पुलिस की कार्यशैली में सुधार नहीं दिख रहा है।आम लोगों की बात दूर राजपतित्रत अधिकारी बीडीओ झंझरी को सोमवार को नगर कोतवाल ने मनरेगा मामले में मुकदमा न दर्ज कर बैरंग वापस कर दिया। सीडीओ के दखल पर दोबारा नगर पुलिस ने तहरीर लेकर विधिक कार्रवाई शुरू की। यह हाल तब देखने को मिला जब खुद डीएम का आदेश मनरेगा में एफआइआर के लिए था। उल्लेखनीय है कि मनरेगा योजना के तहत कराये गये कार्यो पर काम पूरा होने के बाद एक बोर्ड साइट पर लगाया जाता है जिसमें लागत श्रम व सामग्री का अंकना होता है।
पहले कोतवाल ने बीडीओ को लौटाया, बाद में ली तहरीर
ऐसा ही झंझरी ब्लाॅक में मनरेगा के कार्यो पर कराया जाना था लेकिन यहां पर तत्कालीन बीडीओ डीएसटीओ अरूण सिंह के समय बगैर बोर्ड लगाये ही छह लाख का भुगतान फर्म को हो गया।इस मामले की जांच सीडीओ शंशांक त्रिपाठी ने करायी तो मामला सही मिला। इसके बाद प्रकरण डीएम डा उज्जवल कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दे दिया। इसे लेकर मृत्युंजय यादव सोमवार को कोतवाली नगर पहंुचे तो कोतवाल ने बीडीओ की तहरीर लेने से मना कर दिया।
योगी सरकार में भी रिपोर्ट दर्ज कराना टेढी खीर
इसके बाद बीडीओ मायूस होकर ब्लाक मुख्यालय पहुंचे और हालात की जानकारी सीडीओ को दी। सीडीओ के दखल पर नगर पुलिस ने तहरीर लेकर विधिक कार्रवाई शुरू कर दी। जब सरकारी काम काज में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है। वहीं अधिकारियों को एफआइआर के लिए बेआबरू होकर थाने से निकलना पडे यह बात विकास महकमें में चर्चा बन गयी है। सीडीओ शशांक त्रिपाठी का कहना है कि विकास महकमा अपना काम कर रहा है। मुकदमा तो दर्ज ही होगा।