गोंडा। आगामी दिनों में संभावित ठण्ड व शीत लहर से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें, के सम्बन्ध में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। बचाव सम्बन्धी जानकारी देते हुए जिलाधिकारी डा0 उज्ज्वल कुमार ने जनसामान्य से अपील की है कि लोग स्वयं भी सचेत होकर शीत लहर आपदा से बचाव कर सकते हैं। जिलाधिकरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि स्थानीय रेडियो से मौसम की जानकारी लेते रहें। सदियों के लिए पर्याप्त कपड़ो का स्टॉक करें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती है।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एडवाइजरी जारी
आपातकालीन आपूर्ति जैसे भोजन, पानी, ईधन बैटरी चार्जर, आपातकालीन प्रकाश और साधारण दवा तैयार रखे। घर मे ठंडी हवा के प्रवेश रोकने हेतु दरवाओं तथा खिड़कियों को ठीक से बंद रखें। फ्लू नॉक बहनाध्भरी नाक या नाक बंद जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड में लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती है। इस तरह के लक्षणों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरतें तथा स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों या डॉक्टर से परामर्श करें।
बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है क्यों कि यह कार्बन मोनोआक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानियां भी निश्चित रूप से बरतनी चाहिए। शराब का सेवन करने से बचें। हाइपोथीमिया ग्रसित व्यक्ति को गर्म स्थान पर रखें तथा कपड़े बदलें। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को गर्म करें
फसलों को शीत लहर से बचाने के टिप्स
जिलाधिकारी ने बताया कि शीत लहर और ठण्ड फसलों की कोशिकाओं को भौतिक नुकसान पहुंचाती है जिससे कीट का आक्रमण तथा रोग होने से फसल बर्बाद हो सकती है। फसल के अंकुरण तथा प्रजनन के दौरान शीत लहर से काफी भौतिक विघटन होता है इसके बढ़ने से फसलों के अंकुरण, वृद्धि, पुष्पण तथा पैदावार पर असर पड़ता है। बचाव के उपाय बताते हुुए उन्होंने कहा कि बोर्डिऑक्स मिश्रण या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव कर शीत.घात के कारण रोग संक्रमण से बचाव करें। शीत लहर के बाद फास्फोरस और पोटेशियम उर्वरकों का उपयोग जड़ वृद्धि को सक्रिय करेगा और फसल को ठंड केे घात से तेजी से उबरने से मदद करेगा। इसके अलावा बगीचे में धुआँ करके भी फसलों को शील लहरध्पाले से बचाया जा सकता है।
मवेशियों को शीत लहर से बचाव के उपाय
शीत लहरों के दौरान जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। तापमान में अत्यधिक भिन्नता मवेशियों के प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है। मवेशियों को शीत लहर से बचाने के लिए उपायों को अपनाना चाहिए जैसे.ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी पशु आवास को सभी दिशाओं से ढकना चाहिए ताकि ठंण्ड हवा प्रवेश न करे। ठंड के दिनों में छोटे पशुओं को ढक कर रखें। दुधारू पशु एवं कुक्कुट को ठंड से बचने के लिए अन्दर रखें। सर्दियों के दौरान जानवरों के बैठने हेतु सूखे भूसे रखें। पालतू जानवरों पशुधन को शीत लहर से बचाने के लिए भवन के अंदर रखे तथा उन्हें यथां सम्भव कम्बल या टाट के बोरे से ढकें।