गोंडा। जालसाजी के एक मामले की तरबगंज पुलिस द्वारा नौ साल का वक्त बीत जाने के बाद भी विवेचना पूरी ना होने प अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम विश्वजीत सिंह ने अभियुक्तों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करते हुए थानाध्यक्ष तरबगंज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर तीन दिन के अंदर आख्या पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही एसपी गोंडा को पूरे मामले की व्यक्तिगत जांच का भी आदेश दिया है।
निरीक्षक कोर्ट में तलब
वादी के अधिवक्ता धन लाल तिवारी ने बताया कि सन् 2011 में अभियुक्त अजीत त्रिपाठी व अन्य के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या 179/2011 धारा 419,420,467,468,471 तरबगंज थाने में जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया गया था। मामले में पुलिस द्वारा 2012 में न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया था। अभियुक्तगणों ने आरोपपत्र निरस्त करने की याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल किया था जिसे उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया। सन् 2013 में एसपी ने पुनः विवेचना का आदेश दिया।
अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
परन्तु आदेश धाक के तीन पाक साबित हुआ। अधिवक्ता धन लाल तिवारी ने बताया कि नौ साल का वक्त बीत जाने पर भी तरबगंज पुलिस विवेचना पूरी नहीं कर पायी। मामले का संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम विश्वजीत सिंह ने अभियुक्तों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करते हुए थानाध्यक्ष तरबगंज को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर तीन दिन के अंदर आख्या पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही एसपी गोंडा को पूरे मामले की व्यक्तिगत जांच का भी आदेश दिया है।