गोंडा । पहली मई मजदूर दिवस से हर ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्य शुरू किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं पा रहा है। कारण मनरेगा से जुडे कर्मचारी व अधिकारी कार्य की आइडी, इस्टीमेट, जीओ टैगिंग के प्रति संवेदनषील नहीं दिख रहे है जिससे सभी गांव में मनरेगा कार्य शुरू नहीं हो पा रहे हैं। उधर 50 हजार मजदूर गोंडा से पलायन कर परदेष चले गये हैं। जिले में 1214 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें अधिकांष में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मजदूरी का कार्य दिख रहा है और क्षेत्र में चकरोड व तालाब खोदायी ठप है। 16 विकास खंड है जहां पर एपीओ, लेखाकार, टीए , रोजगार सेवक तैनात है लेकिन मनरेगा कार्य को कराने में दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायतों के सचिव भी मनरेगा के प्रति लापरवाह दिखा रहे है। पीओ मनरेगा को भी कोई चिंता नहीं है।
हालात यह है कि जिन ब्लाक की कमान जिला स्तरीय अधिकारी स्वयं देख रहे है, वहां भी मनरेगा नहीं दौड पा रही है। इतना ही नहीं अमृत सरोवर योजना पर भी अधिकारी गंभीर नहीं है जिससे मजदूरों को पलायन षुरू हो गया है। गेंहू की कटाई व मडाई के बाद से करीब 50 हजार मजदूर परदेष चले गये ,कारण दो माह बैठ कर क्या करेंगे।
मजदूरो का पलायन रोकने के लिए लायी गयी मनरेगा को जमीन पर उतारने का काम नहीं किया जा रहा है। इनमें विकास खंड रूपईडीह , पडरीकृपाल, झंझरी, मुजेहना, बभनजोत, छपिया, मनकापुर, नबाबगंज, वजीरगंज, तरबगंज, बेलसर, परसपपुर, कर्नलगंज, हलधरमउ, कटराबाजार व इटियाथोक में 20 से लेकर 25 ग्राम पंचायतों में ही मनरेगा कार्य षुरू हो पाया है। चर्चा है कि आनलाइन व फोटो सिस्टम से भ्रश्टाचार न होने से लोगों की दिलचस्पी धट रही है।