गोंडा । खेत मेड खाने लगे तो सार्वजनिक उपयोगी की जमीन भला कैसे सुरक्षित रह सकती है, कारण पंचायत भवन बनाने के लिए एक गांव में खलिहान की जमीन पर पंचायत भवन का निर्माण षुरू करा दिया, षिकायतों को दरकिनार कर लेखपाल ने सरेआम कहा कि खलिहान पर कहां कब्जा नही है, सरकारी भवन बन रहा है, कोई व्यक्तिगत कब्जा नहीं हो रहा है। प्रकरण उच्च न्यायालय पहुंचा और नोटिस इष्यू होते ही निर्माण कार्य रूक गया।
प्रकरण तहसील सदर के विकास खंड इटियाथोक की ग्राम पंचायत गजाधरपुर का है जहां पर खलिहान की जमीन में सामुदायिक षौचालय बन गये और इसके बाद पंचायत भवन का निर्माण षुरू कराया गया तो इसकी षिकायत एसडीएम , सदर तहसीलदार से की गयी। बीडीओ इटियाथोक से षिकायत की गयी कि खलिहान की जमीन पर पंचायत भवन न बने, इसे बंजर व नवीन परती की जमीन पर बनवाया जाए लेकिन लेखपाल ने कहा कि यह खलिहान सरकारी जमीन है, पंचायत भवन सरकारी है।
भू प्रबंध समिति के अध्यक्ष व लेखपाल जानबूझ कर खलिहान की जमीन पर करवा रहे थे निर्माण
यह बनकर रहेगा, इसे कोई नहीं रोक पायेगा, लेखपाल ने कहा कि जब पहले निर्माण हो गया तो पंचायत भवन को कौन राकेेगा।षिकायत कर्ता अयोध्या प्रसाद ने बताया कि पहले पूर्व लेखपाल मुक्तेष्वर लाल ने आबादी में प्रस्ताव तैयार किया लेकिन वर्तमान लेखपाल संजय पांडेय व प्रधान मैना देवी के प्रतिनिधि नंद किषोर ने खलिहान में पंचायत भवन की नींव खोदवा दी। समाधान दिवस, जनसुनवाई व लोक षिकायत के माध्यम से अवैध निर्माण रोकने की मांग की गयी लेकिन लेखपाल व कानूनगों ने गोलमाल रिपोर्ट लगाकर निर्माण नहीं रोका। डीएम को षिकायत की गयी, मौके पर एसडीएम गये लेकिन मौखिक आदेष दे आये लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पायी।
इसके बाद राजस्व परिशद लखनउ में षिकायत की गयी। इसके बाद पीडित उच्च न्यायालय लखनउ चले गये जहां पर प्रमुख सचिव राजस्व, डीएम गोंडा, एसडीएम सदर व प्रबंध समिति भू प्रबध गांव सभा को पक्षकार बनाया, इसकी नोटिस डीएम के यहां आते ही पंचायत भवन का निर्माण रूक गया लेकिन बना हुआ निर्माण हटाया नहीं गया है। योगी सरकार की मंषा है कि सुरक्षित जमीन रहे लेकिन यहां लेखपाल ही कब्जा करा रहे हैं। अदालत की नोटिस से अवैध निर्माण रूकने से ग्रामीण खुश है।