‌‌भूख, भय, भ्रष्टाचार मुक्त शासन ही सुशासन : प्रोफेसर सिंह


मुक्त विश्वविद्यालय में साप्ताहिक अटल जन्मोत्सव के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन
प्रयागराज।  उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में अटल बिहारी वाजपेई सुशासन पीठ के तत्वावधान में साप्ताहिक अटल जन्मोत्सव समारोह के तीसरे सोपान में शनिवार को लोक व्यवस्था में अटल दर्शन विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राकेश उपाध्याय, चेयर प्रोफेसर, भारत अध्ययन केंद्र, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अटल जी की स्वरचित कविताओं जैसे यमुना तट के टीले रे टीले, आओ मन की गांठे खोलें, हिंदू तन मन हिंदू जीवन आदि पंक्तियों के माध्यम से लोक व्यवस्था एवं जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया। उन्होंने कि अटल जी ने एकात्म मानववाद दर्शन पंडित दीनदयाल उपाध्याय से अंगीकार किया। उनके दर्शन में दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति, शक्ति का मुकाबला शक्ति से करना, उनके जीवन दर्शन का मूल था। 

अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि भूख, भय, भ्रष्टाचार मुक्त शासन ही सुशासन है। जो लोक व्यवस्था और जीवन दर्शन का मूल आधार है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि अटल जी का मानना था कि वैचारिक विषमताओं के आधार पर संवाद को बंद नहीं किया जा सकता।व्याख्यानमाला का संचालन राजमणि पाल ने तथा अतिथियों का परिचय डॉ सुरेंद्र कुमार ने दिया। संयोजक प्रोफेसर पी के पांडे ने अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया।उन्होंने कहा कि लोक व्यवस्था एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ उपेंद्र नाथ तिवारी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक, प्राध्यापक, परामर्शदाता एवं कर्मचारियों के साथ-साथ वर्चुअल प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

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