- इस साल नया डिग्री कॉलेज खोलने को नहीं आया एक भी मानक पूरे करने वाला आवेदन
- पिछले साल खुले थे 14 नए डिग्री कॉलेज, 18 आवेदन आए थे
- सख्ती हुई तो कुशीनगर में बिक गया एक कॉलेज, छह प्रबंधक खोज रहे ग्राहक
गोपाल त्रिपाठी
गोरखपुर। डीडीयू प्रशासन ने नकल और मनमाना प्रवेश लेने पर सख्ती की तो नया डिग्री कॉलेज खोलने का धंधा बंद हो गया। कुशीनगर जिले के एक कॉलेज प्रबंधक ने अपना डिग्री कॉलेज बेच दिया है तो छह और प्रबंधक ग्राहक खोज रहे हैं। हालत यह है कि जहां पहले हर साल औसतन 20 से 22 नए डिग्री कॉलेज खुल रहे थे, इस साल एक भी आवेदन ऐसा नहीं आया है, जो मानकों को पूरा करता हो। दो चार आवेदन जरूर आए मगर कहने के बाद भी उन्होंने औपचारिकताएं पूरी नहीं की और प्रक्रिया अधूरी छोड़ कर भाग खड़े हुए।
पिछले आठ-दस सालों में गोरखपुर से संबद्ध नया डिग्री कॉलेज खोलने वालों की भरमार थी। संबद्धता विभाग का रिकार्ड बताता है कि हर साल यहां नए डिग्री कॉलेज खोलने के लिए 20 से 25 आवेदन आते थे। औसतन हर साल बीस नए कॉलेज खुलते थे। दस सालों में गोरखपुर से संबद्ध कॉलेजों की संख्या 328 पहुंच चुकी है जबकि दस साल पहले तक इनकी संख्या सवा सौ के आस पास थी। बीते सत्र में डीडीयू प्रशासन ने नकल पर सख्ती की। कॉलेजों में स्वकेन्द्रीय परीक्षा प्रणाली खत्म कर दी गई तथा दूसरे कॉलेजों पर सेंटर भेजा गया। परीक्षा के दौरान एसटीएफ की मदद से सामूहिक नकल पकड़ी गई। देवरिया जिले में एक कॉलेज का पूरा स्टाफ जेल भेजा गया। नकल माफिया चारों खाने चित्त हो गए।
रही सही कसर डीडीयू प्रशासन ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराकर पूरी कर दी। कॉलेजों में मनमाने ढंग से प्रवेश पर लगाम कस दिया। एडेड व राजकीय कॉलेजों में जहां कई साल से खाली रहने वाली सीटें भर गईं, वहीं कई स्ववित्तपोषित कॉलेजों में सीट भरने तक के लाले पड़ गए। इसी बीच विवि प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि अगले वर्ष भी डीडीयू से संबद्ध सभी कॉलेजों में संयुक्त प्रवेश परीक्षा से प्रवेश लिए जाएंगे। इसका असर यह हुआ कि अब कॉलेज को महज डिग्री बांटने का अड्डा मानने वालों के मंसूबे ध्वस्त हो गए हैं। कई कॉलेज अपना वजूद बचाने को संघर्ष कर रहे हैं, जबकि कुछ कॉलेज का धंधा बंद करने की जुगाड़ में लगे हैं।
इस साल लागू हुई है कॉलेज खोलने को ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
डीडीयू प्रशासन ने शासन के निर्देश पर इस साल से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया लागू की है। संबद्धता विभाग के अनुसार जुलाई से ही आवेदन मांगने का क्रम शुरू हो गया था मगर अब तक तीन ही आवेदन आए हैं। वह भी मानकों को पूरा नहीं करते। आवेदन करने वालों से कई बार मानक पूरे करने को कहा गया मगर वह दोबारा लौट कर नहीं आए।
साल भर पहले तक खूब आते थे आवेदन
वर्ष-2010 में 25 आवेदन आए, जिसमें 20 को संबद्धता
वर्ष-2011 में 23 आवेदन आए, जिसमें 19 को संबद्धता
वर्ष-2012 में 25 आवेदन आए, जिसमें 21 को संबद्धता
वर्ष-2013 में 21 आवेदन आए, जिसमें 19 को संबद्धता
वर्ष-2014 में 23 आवेदन आए, जिसमें 20 को संबद्धता
वर्ष-2015 में 24 आवेदन आए, जिसमें 20 को संबद्धता
वर्ष-2016 में 22 आवेदन आए, जिसमें 19 को संबद्धता
वर्ष-2017 में 18 आवेदन आए, जिसमें 14 को संबद्धता
यदि कॉलेज को कमाई का धंधा बनाने के उद्देश्य से खोला गया है तो ऐसे कॉलेज को बंद ही हो जाना चाहिए। कई स्ववित्तपोषित कॉलेज अपने दम पर बेहतर पढ़ाई करा रहे हैं, ऐसे कॉलेजों को विवि प्रशासन प्रोत्साहित करता रहेगा। यूजीसी व डीडीयू की गाइडलाइन के अनुसार जो मानकों पर खरा उतरेगा, उसे संबद्धता दी जाएगी।
प्रो. वीके सिंह, कुलपति