2 सरकारी कंपनियों को बेचने जा रही है सरकार, 1 लाख 65 हजार कर्मचारियों का क्या होगा?

आर्थिक तंगी से जूझ रही दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल पर जल्द सरकार ताला लगाने वाली है। वित्त मंत्रालय दोनों कंपनियो कों बंद करने के पक्ष में है। डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्युनिकेशंस ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को दोबरा पुनर्जीवित करने के लिए 74 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव दिया था, जिसे वित्त मंत्रालय ने ठुकरा दिया है और दोनों कंपनियों को बंद करने की सलाह दी है।

BSNL पर 14 हजार करोड़ की देनदारी

बता दें BSNL पर 14 हजार करोड़ की देनदारी है। वित्तवर्ष 2017-18 में बीएसएनएल को 31,287 करोड़ का नुकसान हुआ था। फिलहाल कंपनी में 1.76 लाख कर्मचारी है। अगर कर्मचारियों को वीआरएस दिया जाता है तो संख्या अगले पांच सालों में 75 हजार रह जाएगी। इस मसले पर सिंतबर में पीएमओ की एक बैठक भी हुई थी।

बंद करने पर ज्यादा खर्च

दूरसंचार मंत्रालय ने कहा है कि दोनों टेलिकॉम कंपनियों को बंद करने पर सरकार का करीब 95 हजार करोड़ रुपए खर्च आएगा। कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र को 60 वर्ष से घटाकर 58 साल करने को कहा गया। वहीं बीएसएनएल के कर्मचारियों को वीआरएस पैकेज देने को कहा गया है।

टेलीकॉम इंडस्ट्री में आर्थिक संकट

वित्तमंत्रालय के मुताबिक, BSNL और MTNL को इस लिए बंद करने की योजना है, क्योंकि टेलीकॉम इंडस्ट्री में फिलहाल आर्थिक संकट है। इसलिए शायद की कोई कंपनी सरकारी कंपनियों में निवेश करे। वहीं बता दें एमटीएनएल में 22 हजार कर्मचारी हैं और कंपनी पर 19 हजार करोड़ का कर्ज है। अगले 6 साल में कंपनी के करीब 16 हजार कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे।

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