इंप्लांट का मूल्य अब हर वर्ष 10 फीसद ही बढ़ेगा
• घुटना इंप्लाट में की वसूली तो होगी कार्रवाई
• यूपी ड्रग कंट्रोलर ने दिए मातहतों को निर्देश
• वर्ष 2017 में 69 % घटे थे इंप्लांट के दाम
लखनऊ . नी इंप्लांट यानि घुटना प्रत्यारोपण के नाम पर किसी भी अस्पताल ने ज्यादा कीमत ली तो कड़ी कार्रवाई होगी। राष्ट्रीय फॉर्मास्यूटिकल्स प्राइज़िज प्राधिकरण (एनपीपीए) ने इंप्लांट के दाम प्रति वर्ष 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला इस वर्ष भी बरकरार रखा है।
ड्रग कंट्रोलर ए0के0 जैन ने रविवार को बताया कि दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 के अनुसार केन्द्र सरकार ने 16 अगस्त 2017 को ऑर्थोपैडिक नी इंप्लांट की अधिकतम कीमत अधिसूचित की थी जिसमें हर वर्ष इंप्लांट की कीमत अधिकतम 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का अधिकार दिया गया था। सरकार के इस फैसले से इंप्लांट के दाम 69 प्रतिशत तक घट गए थे। हाल ही में दिल्ली में एनपीपीए ने समीक्षा बैठक की। बैठक में जो आंकड़े पेश किए गए उससे पता चला कि जुलाई 2018 से जून 2019 तक इंप्लांट की बिक्री 30 प्रतिशत तक बढ़ी है। इसके बाद 10 प्रतिशत तक की वार्षिक बढ़ोतरी का पुराना फैसला बरकरार रखा गया। हालांकि उद्योग ने इसके मूल्यों में 20 प्रतिशत वृद्धि की मांग की थी। ड्रग कंट्रोलर ने संबंधित अधिकारियों को निगरानी करने का आदेश दिया है कि अस्पतालों में तय कीमत पर नी इंप्लांट लगाया जाए। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित किसी भी शिकायत पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
30 % मरीजों को ही इंप्लाट की आवश्यकता : डॉ. आनंद
लखनऊ। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के प्रिन्सिपल रह चुके अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आनंद स्वरूप का कहना है कि 30 % लोगों को ही इंप्लाट की जरूरत है। शेष 70 % लोगों को घुटना रक्षित (नी प्रिजरवेटिव) तकनीक के जरिये घुटना प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता है। डॉ. आनंद बीते 25 वर्षों से घुटना रक्षित तकनीक पर कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने रविवार को बताया कि घुटना रक्षित तकनीक से लम्बे समय तक घुटने के दर्द से बचा जा सकता है। घुटना अधिक खराब होने पर घुटना रक्षित शल्य (नी प्रिजरवेटिव सर्जरी) के जरिए 10 से 15 वर्ष के लिए घुटना प्रत्यारोपण से बचा जा सकता है।
डॉ. आनंद ने बताया कि पहली बार उभरे घुटने के दर्द को नजरंदाज न करें ताकि पूरी जिन्दगी घुटना दर्द से बचा जा सके। यदि आपका वजन अनियंत्रित है और चाहकर भी नहीं घटा पा रहे हैं तो इसके लिए आवश्यक है कि आप नियमित पैर की कसरत करें ताकि घुटने की मांसपेशियां मजबूत रहें। घुटने की मांसपेशियों में मजबूती रहने से जोड़ के कार्टिलेज पर कम दबाव पड़ता है और वह कम घिसता है। इससे घुटने की हड्डियाँ पूरी तरह सुरक्षित रहती हैं। अक्सर मांसपेशियों कमजोर रहेंगी तो कार्टिलेज कम उम्र में ही घिस जाएगा और फिर घुटने की हड्डियाँ आपस में लड़ने लगेंगी। इसी लापरवाही के कारण घुटने में असहनीय दर्द होता है।