दैनिक भास्कर समाचार सेवा
हल्द्वानी। विगत वर्ष अक्टूबर माह में आई दैवीय आपदा से काठगोदाम बैराज से गौलापार क्षेत्र में जाने वाले सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिससे गौलापार क्षेत्र के किसानों पर सिंचाई का संकट हो गया। साथ ही लगातार किसानों द्वारा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से लेकर डीएम तक निरीक्षण कराने को लेकर गुहार लगाई गई थी, लेकिन बजट की कमी के चलते नहर पर काम नहीं किया जा सका।
शनिवार को कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ क्षतिग्रस्त नहर का स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने काठगोदाम के गौला बैराज से निकलने वाली नहर से लेकर लीसा फैक्ट्री के पास तक सिंचाई नहर को बारीकी से देखा। उन्होंने इस संबंध में जानकारी ली कि नहर का एक हिस्सा दैवीय आपदा में बह गया था, जिसे आगे किस तरह से बनाया जा सकता है।
विगत वर्ष दैवीय आपदा में क्षतिग्रस्त होने से सिंचाई का हो रहा संकट
कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने कहा कि उनके द्वारा इस संबंध में 21 लाख रुपए भी विभाग को जारी किए गए थे, ताकि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में नहरों से सिंचाई हो सके और किसानों को पानी मिल सके। गौलापार क्षेत्र में 2 हजार हेक्टेयर भूमि में खेती होती है, ऐसे में सिंचाई की काफी जरूरत होगी। जो इससे डैमेज हुआ है, उसे दोबारा बनाने से एक बार फिर टूटने का खतरा बना रहेगा, ऐसे में पाइप के जरिए पानी को निकाला इसका एस्टीमेट बनाने को लेकर कहा गया है। इसमें करीब 5 करोड़ से अधिक खर्चा आएगा। इस संबंध में शासन के उच्च अधिकारियों को बताया जाएगा, ताकि जल्द से जल्द सिंचाई नहर को ठीक कर, खेतों में पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जा सके।