
Hanuman Janmotsav 2025 : शनिवार को 12 अप्रैल को पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल चैत्र पूर्णिमा के दिन आता है और इसे बजरंगबली के जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा है। इस अवसर पर भक्तों का मानना है कि यदि वे भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा करें, तो उन्हें शनि दोष, ऋण तथा जीवन की अन्य कठिनाइयों से मुक्ति मिलेगी।
हनुमान जी, जिन्हें बल, बुद्धि और भक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, संकटमोचन के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। उन्हीं के जन्मदिन के अवसर पर ‘ऋणमोचन मंगल स्तोत्र’ का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह स्तोत्र न केवल आर्थिक समस्याओं को हल करने में मदद करता है, बल्कि मानसिक तनाव और कर्ज की स्थिति को भी दूर करने में सहायक होता है।
ऋणमोचन मंगल स्तोत्र के पाठ के लाभ
- ऋण से मुक्ति: यह स्तोत्र आर्थिक दबाव को कम करने और ऋण से मुक्ति पाने में प्रभावी है।
- दोष निवारण: मंगल दोष और पितृ दोष को शांत करने में मददगार है।
- धन की रुकावट: यह आर्थिक समस्याओं और घाटे से राहत दिलाता है।
- आत्मबल में वृद्धि: साहस और निर्णय क्षमता को बढ़ाता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव, चिंता और अस्थिरता को कम करता है।
- संपत्ति विवाद में सफलता: भूमि और प्रॉपर्टी से जुड़े विवादों में सफलता दिलाने की क्षमता रखता है।
- सकारात्मकता का संचार: हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
- विशेष फल: मंगलवार और शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
ऋणमोचन मंगल स्तोत्र
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।
त्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा”।।
इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
इस हनुमान जन्मोत्सव पर भक्तगण ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें और जीवन में स्थिरता, समृद्धि तथा संकटों से मुक्ति प्राप्त करें। यह न केवल भक्ति का समय है, बल्कि आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।