1987 हाशिमपुरा नरसंहार कांड मामला : सभी आरोपियों को 30 साल बाद ताउम्र जेल 

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मेरठ. दिल्ली HC  ने 1987 के नरसंहार कांड मामले में 6 पुलिसकर्मियों को हत्या और अन्य अपराधों के आरोपों से बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाया। वर्ष 1987 के हाशिमपुरा सामूहिक हत्याकांड में सत्र अदालत द्वारा सभी 16 प्रोविंशियल आम्र्ड कॉन्सटैब्यूलरी (पीएसी) अधिकारियों को बरी किए जाने के फैसले को आज दिल्ली हाईकोर्ट ने पलट दिया है. हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार देकर उम्रकैद की सज़ा सुनाई है.

Verdict

आपको बता दें कि मेरठ के हाशिमपुरा में 2 मई 1987 को 40 मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड के 30 साल बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सबूत पेश किए थे. दरअसल, पीएसी के जवानों ने इस नरसंहार को अंजाम दिया था. इस केस में 78 वर्षीय गवाह रणबीर सिंह बिश्नोई ने सबूत के तौर पर एक केस डायरी सौंपी थी.

इस केस डायरी में कथित रुप से शामिल सभी पीएसी के जवानों के नाम शामिल थे. डायरी में 1987 में मेरठ पुलिस लाइंस में तैनात पीएसी कर्मियों के नाम दर्ज हैं. बता दें कि साल 2015 में सबूतों की कमी के चलते सेशन कोर्ट ने सभी 16 पीएसी कर्मियों को बरी कर दिया था लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केस डायरी को सबूत के तौर पर पेश किया गया.

डायरी के कुल पांच पन्ने सुबूत के तौर पर पेश किए गए. इसमें बिश्नोई ने कुल 17 पीएसी कर्मियों के नाम लिए हैं जिसमें प्लाटून कमांडर सुरेंद्र पाल सिंह, हेड कांस्टेबल निरंजन लाल, कमल सिंह, श्रवण कुमार, कुश कुमार, एससी शर्मा, कांस्टेबल ओम प्रकाश, शमी उल्लाह, जय पाल, महेश प्रसाद, राम ध्यान, लीलाधर, हमबीर सिंह, कुंवर पाल, बुद्ध सिंह, बसंत, बल्लभ, नाइक रामबीर सिंह के नाम शामिल थे. आज उसी मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और सत्र न्यायालय के निर्णय को पलट दिया. सभी 16 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुना दी.

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