हाथरस हादसा: सूरज पाल सिंह बना ‘भोले बाबा ‘, पुलिस की नौकरी छोड़ सत्संग को बनाया व्यवसाय

उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए बड़े हादसे में 121 लोगों की मौत ने पुरे देश को सदमे में डाल दिया है। इस हादसे के मुख्य ज़िम्मेदार माने जा रहे भोले बाबा पिछले 15 साल से सत्संग करते आ रहे हैं। कासगंज जिले के सूरज पाल सिंह ने अपनी एसआई की नौकरी छोड़ कर बाबा भोले बनने का निर्णय 15 साल पहले लिया था। भोले बाबा के नाम से प्रसिद्द सूरज पाल सिंह , हाथरस जिले में पिछले 15 साल से सत्संग करते आ रहे हैं। जिले की अलग-अलग तहसीलों में इनके सत्संग का आयोजन हर साल किया जाता है, जिसकी तैयारी काफी समय से की जाती है।

18 साल पहले एसआई की नौकरी छोड़ कर कासगंज के पटियाली में रहने वाले सूरज पाल ने भोले बाबा बनने का निर्णय लिया। भोले बाबा के सत्संग का सिलसिला हाथरस जिले में आज से 15 साल पहले शुरू हुआ था। भोले बाबा मंच पर सपत्नी सफ़ेद कपड़ों में बैठते हैं। इनका पहला सत्संग कछपुरा के पास हुआ था, और इसी सत्संग के कारण मथुरा-बरैली हाईवे पर घंटों तक भारी जाम लगा था।

इसके बाद बाबा भोले का सत्संग अलग अलग स्थान जैसे सासनी, सादाबाद व सिकंदराराऊ तहसील क्षेत्रों में होने लग। इन्हीं में से एक बागला कॉलेज के मैदान में हुए सत्सग में 50 हज़ार से ज़ादा श्रद्धालु आये थे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भोले बाबा का बोल बाला है। इन्हें लोग साकार विश्व हरि, हरि बाबा भोले के नाम से जानते, पुकारते हैं। उत्तर प्रदेश के हर जिले से बाबा भोले के अनुनायी सत्त्संग सुनने पहुंचते हैं। विभिन्न गाँव और शेरोन में बाबा के सेवादार मौजूद होते हैं, जिनका काम होता है उनके भक्तों को सत्संग स्थल तक पहुंचाने का।

बाबा भोले साल 2006 में एसआई की नौकरी वीआरएस लेकर अपने गाँव पटियाली वापस आ गए थे। अपने गाँव आने के बाद वो गाँव गाँव जाकर सत्संग करने लगे और सत्संग में मिले चंदे से अपने सत्संग का आयोजन बड़े स्टार पर करने लगे। बाबा भोले का बहुत बड़ा आश्रम पटियाली में बना है जहाँ भी लोग उनके दर्शन करने और मत्था टेकने पहुचतें हैं।

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