नंदगांव से मथुरा के लिए कृष्ण के प्रस्थान की कथा सुन श्रोता हुए विह्वल

भास्कर समाचार सेवा

लवेदी इटावा । नवादा खुर्द कला में चल रही रामकथा व भागवतकथा के पांचवें दिन भगवान कृष्ण व वृज में गोपियों को समझाते हुए अक्रूर जी के साथ मथुरा कंस के दरबार जाने की तैयारियां एवम भगवान कृष्ण के द्वारा वृज की गोपियों को समझाते हुए कि अधिक प्रेम कष्ट दायक होता है कन्हैया व गोपियों के प्रेम की बहुत ही मार्मिक कथा से सभी श्रोता गण भाव विभोर हो गए। श्रोता गण के आंखों में आंसू निकलने लगे कथा का मार्मिक वृतांत सुन श्रोता अपने अन्तः कारण के तार कथा से दूर नही कर सके और सजल नेत्रों से करुण भाव बह निकले। कथा में भागवताचार्य अवधेश शास्त्री मैनपुरी वालो संगीतमय वर्णन करते हुए कहा कि वह विशेष रूप से कृष्ण के पिता वासुदेव व देवकी की भावनाओ और उनपर आये संकट के बचाव के लिए यहाँ आये है। देवकी नंदन कृष्ण ने जब यह पीड़ा सुनी तो उन्होंने कहा कि यह सबसे बड़ा महापाप है कि जिनके पुत्र के कारण उन्हें यत्न झेलना पड़े।वह सहज मथुरा जाने को तौयार हो गए और गोपियों तथा मैय्या यसोदा को उन्होंने समझाया और अक्रूर जी के साथ मथुरा के लिए प्रस्थान कर गए। भागवत कथा के कारकृम के आयोजक रामबाबू सिंह चौहान नवादा खुर्द कलां ने भक्तगणों से कार्यक्रम में आकर पुण्यलाभ प्राप्त करने की अपील की।

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