पानी के लिए जातिगत भेदभाव पर होईकोर्ट नाराज, अधिकारियों को लगाई फटकार! कहा- दुखी करने वाली प्रथा

High Court : मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने तमिलनाडु में जाति के आधार पर पानी के बंटवारे के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूरे राज्य में बराबरी से पानी बांटने का आदेश दिया है। जस्टिस मंजुला ने तेनकासी जिले के एक मामले में दलित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया जिसने जातिगत भेदभाव की शिकायत की थी।

मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने एक ऐतिहासिक और दिल को छू लेने वाला फैसला सुनाया है। इस फैसले को पानी जैसे बुनियादी हक को जाति के आधार पर छीनने की सख्त निंदा की गई है।

कोर्ट ने पूरे तमिलनाडु में बराबरी के साथ पानी के बंटवारे का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस डॉ. आरएन मंजुला ने तेनकासी जिले के थलाइवन्कोट्टई गांव में एक 65 साल की दलित महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। उसने पानी के लिए हो रही जातिगत भेदभाव की शिकायत की थी।

कोर्ट ने पानी से वंचित करने की इस प्रथा को “दुखद और हैरान करने वाला” बताया और कहा कि साफ पानी का हक हर इंसान का बुनियादी अधिकार है, जो जीने के अधिकार का अहम हिस्सा है।

तेनकासी में बदलाव की शुरुआत

इससे पहले कोर्ट ने तेनकासी के जिला कलेक्टर को आदेश दिया था कि दलित समुदाय के लोगों को पानी लेने के लिए दूसरों के बाद इंतजार न करना पड़े। 31 जुलाई को दाखिल एक रिपोर्ट में बताया गया कि गांव में 17 नए सार्वजनिक नल लगाए गए हैं और बराबरी से पानी देने के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है।

जस्टिस मंजुला ने इस तेजी से अमल में लाए जाने पर खुशी जाहिर की, लेकिन साथ ही कहा कि अफसरों को शिकायतों का इंतजार नहीं करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि जातिगत भेदभाव की घटनाएं अक्सर डर या लापरवाही की वजह से सामने नहीं आतीं।

कानून और संविधान का हवाला

कोर्ट ने SC/ST (अत्याचार निवारण) एक्ट की धारा 3(1)(za) और 21 का हवाला देते हुए सरकार को याद दिलाया कि पानी जैसे सार्वजनिक संसाधनों को बिना भेदभाव के बांटना उसका संवैधानिक फर्ज है।

जज ने एक बड़ा कदम उठाते हुए तमिलनाडु के सभी जिला कलेक्टरों, नगर प्रशासन निदेशक और टाउन पंचायत निदेशक को आदेश दिया कि वे चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के साथ मिलकर “थलाइवन्कोट्टई मॉडल” को तीन हफ्तों में राज्य के हर गांव और शहर में लागू करें।

इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर पंचायत स्तर पर कमेटियां बनाई जाएं, जो पानी जैसे संसाधनों तक बराबर पहुंच सुनिश्चित करें और जातिगत सौहार्द को बढ़ावा दें।

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