कर्नाटक के चिकबलपुर में एक दलित बच्चे को चोरी के शक में पीटने का मामला सामने आया है। दरअसल, घटना गुरुवार केम्पाडेनहल्ली गांव की है। इसका मामला रविवार को सामने आया है। 14 साल का यशवंत दोस्तों के साथ खेल रहा था। इस दौरान वहां मौजूद कुछ लोगों ने यशवंत पर आरोप लगाया कि उसने साथ में खेल रही एक लड़की के सोने के झुमके चुरा लिए। बस इसी आरोप में यशवंत को लोगों ने खंभे से बांधकर बुरी तरह डंडे से पीटना शुरू कर दिया।
मां-बेटे को पता ही नहीं था कि पीटा क्यों जा रहा
पुलिस ने बताया कि यशवंत और उसकी मां से जब पूछताछ की गई तो, उन्होंने बताया कि उन्हें पता हि नहीं था कि उनके साथ मारपीट क्यों की जा रही है। यशवंत ने भी बताया कि उस पर झूठा आरोप लगाया गया है। उसने चोरी नहीं की। वहीं पुलिस बयान दर्ज कर मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।
इन धाराओं के तहत मामला दर्ज
सभी पर IPC की धारा 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 323 (चोट पहुंचाना), 354 (शील भंग करने के इरादे से महिला पर हमला), 355 (अपमान करने के लिए हमला करना), 341 (गलत संयम) के तहत मामला दर्ज किया गया है। ), 448 (झूठे निशान के लिए सजा), 504 (गाली गलौज करना), 506 (जान से मारने की धमकी) और 149 (भीड़ द्वारा हमला) और धारा 3(1)(r), 3(1)( s) और 3(1)(z) एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम 2015, के तहत मामला दर्ज किया है।
कर्नाटक के एक मंदिर में दलितों ने कब्जा कर वहां पर नीला झंडा फहरा दिया था। दरअसल, 8 सितंबर को कोलार जिले में भूतयम्मा मेले का आयोजन किया गया था और दलितों को गांव के देवता के मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इसी गांव के रहने वाले शोबा और रमेश का 15 साल का बेटा चेतन मंदिर में चला गया। बच्चे ने ग्राम देवता सिदिराना से जुड़े एक खंभे को छू लिया।
कुछ ग्रामीण ने बच्चे को मंदिर का हिस्सा छूता देख लिया और बुजुर्गों को बता दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि लड़के ने गांव के नियमों की अनदेखी की। बस इसी बात से गुस्साए ग्रामिणों ने दलित बच्चे के साथ मारपीट की। उसके बाद बच्चे के परिवार को अगले दिन गांव के बुजुर्गों के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया।