अंबेडकरनगर । केंद्र व प्रदेश सरकार ने कहने को तो हर व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने तथा हर व्यक्ति तक अनाज पहुंचाने के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रखी है लेकिन क्या हकीकत में इन योजनाओं का लाभ समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच पा रहा है। इसको लेकर हमेशा से सवाल खड़े होते रहे हैं। वर्तमान परिवेश में जिस प्रकार की सामाजिक संरचना है उसके तहत ऐसे सवाल आने वाले दिनों में भी सामने आते रहेंगे।
- सरकार की योजनाओं को निचले स्तर तक पहुंचाने के लिए विगत दिनों सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए लेकिन क्या इन कार्यक्रमों का लाभ सही मायने में जनता को मिल सका।
- जिले में ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार की योजनाओं का लाभ सही मायने में सही लाभार्थी तक नहीं पहुंच पा रहा है।
- इन योजनाओं का लाभ अंतिम पायदान तक न पहुंचने के पीछे आखिर वह कौन से कारण है ,बिना उनको तलाश किये इस अहम समस्या का समाधान निकाल पाना संभव नहीं हो सकेगा।
- शनिवार को जिला मुख्यालय पर ही एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसे देखने के बाद सरकार की योजनाओं के साथ साथ योजनाओं को अंतिम पायदान तक पहुंचाने का दम्भ भरने वाले राजनेताओं पर भी सवाल उठ खड़ा होता है । सवाल यह कि क्या समाज के हर व्यक्ति को भर पेट भोजन मिल पा रहा है ?
- क्या समाज के हर व्यक्ति के सिर के ऊपर छत उपलब्ध हो गया है? इस दृश्य को देखने के बाद उसका सीधा उत्तर मिलता है कि नहीं। पेट की भूख को मिटाने के लिए लोग किस स्तर पर उतर जाते हैं यह इस दृश्य में स्पष्ट हो जाता है ।
- यह दृश्य कहीं और का नहीं बल्कि मालीपुर मार्ग पर स्थित नवीन सब्जी मंडी के सामने का है।
- सब्जी मंडी के थोक दुकानदार सड़े हुए कटहल को सड़क के किनारे फेंक देते हैं और यही सड़ा हुआ कटहल समाज के एक वर्ग के बच्चों के लिए भूख मिटाने का साधन बन जाता है।
- सड़क के किनारे बैठी बच्चियां इसी सडे कटहल के बीच से अपनी भूख शांत करने की कोशिश कर रही है।इन्हें न तो इससे किसी बीमारी के होने का डर है और न ही किसी और समस्या से,इन्हें बस इसी कटहल के कोवे के सहारे अपनी भूख शांत करने की जिज्ञासा थी।
- सड़े कटहल को न खाने की सलाह देने पर उनका सीधा जबाब था कि हमे का पता कि ई सड़ा है। जब और नाय देखे तो का जानी। इस जबाब से साफ है कि इनके लिए आज भी कटहल किसी अमूल्य खाद्य पदार्थ से कम नही।
- प्रश्न यह है कि क्या इसी प्रकार से बालिकाओ को शिक्षित करने के प्रयास किये जा रहे है। क्या यही है बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ की सार्थकता।