पारिवारिक रिश्ते ऐसे होने चाहिए जो एक दूसरे की परवाह नजर आती हो। शुरुआती वर्षों में इसके कई फायदे देखने को मिले लेकिन अब दो वर्षों बाद इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम के दौरान लैपटॉप और मोबाइल लोगों की लाइफस्टाइल में शामिल था। इस वर्क फ्रॉम होम फैसिलिटी ने लोगों को जहां अपने घर के वातावरण में रहने की सुविधा दी है तो दूसरी ओर इसी वर्क फ्रॉम होम ने कई पारिवारिक रिश्ते भी तोड़े हैं।
पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आ रही
शुरुआती वर्षों में इसके कई फायदे देखने को मिले लेकिन अब दो वर्षों बाद इसके दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आ रही है। सगे संबंधी के रिश्तों की डोर प्रतिदिन होने वाले झगड़ों से कमजोर पड़ गई है। झांसी के जिला प्रोबेशन अधिकारी के पास 2020-2022 तक कई ऐसे मामले आ चुके हैं जिनमें पति-पत्नी अब एक दूसरे के साथ रहना नहीं चाहते।
इन कारणों से पति-पत्नी नही दे पा रहे एक-दूजे को समय
इनमें अधिकांश वर्क फ्रॉम होम में मोबाइल के अधिक इस्तेमाल के कारण पार्टनर को समय न देना, पासवर्ड न बताना, छोटी-छोटी बातों पर नोंकझोक, तनाव, बेवजह मारपीट के अलावा एक दूसरे पर शक करने के मामले सबसे ज्यादा हैं। इसी तरह लखनऊ में 2020 में अकेले घरेलू हिंसा के 534 मामले सामने आए थे। इनमें बेवजह झगड़ा, मारपीट और तनाव के मामले अधिक थे।
वर्क फ्रॉम होम ने पति-पत्नी के रिश्तों में लगाई आग
वर्क फ्रॉम होम के कारण पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आने लगी है। कई मामले तलाक की स्थिति में भी पहुंच गए हैं। झांसी प्रोबेशन कार्यालय में ही पिछले दो वर्षों में कुल 524 मामले सामने आ चुके हैं जो पति-पत्नी के बिगड़ते रिश्तों से संबंधित है। इनमें से लगभग 125 ऐसे मामले हैं जिनमें रिश्ते खराब होने के कारण वर्क फ्रॉम होम और खाली वक्त में मोबाइल के अधिक इस्तेमाल के कारण पार्टनर को समय न दे पाना है।
घरेलू हिंसा के 1075 मामले सामने आये
2018-2019 अप्रैल तक और 2022 के कुल मामलों को मिलाकर घरेलू हिंसा के 1075 मामले सामने आ चुके हैं। पति-पत्नी में समझौता कराने की तमाम कोशिशें भी विफल रहीं। काउंसलिंग के साथ-साथ जोड़ों को आशा ज्योति केंद्र भी भेजा गया। पति-पत्नी को यह समझाया गया कि काम के साथ-सा अधिकांश मामले अब कोर्ट पहुंच चुके हैं।