मुंबई: पेशे से मार्केटिंग कंसल्टेंट महिला पति की मौत के 3 साल बाद मां बनी है। इसे चमत्कार कहा जा सकता है। दरअसल, इस चमत्कार की शुरुआत अगस्त, 2015 से हुई। सुप्रिया जैन और गौरव एस, दोनों की उम्र 30 के आस-पास होगी, बेंगलुरु में कार्यरत थे। दोनों की शादी को 5 साल हो चुके थे, तब उन्होंने फैसला किया कि वे माता-पिता बनना चाहते हैं। सामान्य तरीके से ये संभव नहीं हो पा रहा था। इसलिए उन्होंने आईवीएफ प्रक्रिया की मदद लेने का फैसला किया।
मीडिया की खबर के मुताबिक इसी दौरान हुबली के पास एक ट्रक ने गौरव की कार में टक्कर मारी दी और वो खत्म हो गए। इसके बाद सुप्रिया ने ब्लॉग लिखकर अपना दुख प्रकट करना शुरू कर दिया, जिसमें उसने अनिद्रा, डर और अपनी पूरी निराशा का वर्णन किया।
गौरव की मौत के कुछ हफ्तों बाद उसने लिखा ‘जिस दिन वह जा रहा था, उसने एक और नए वैंचर के लोगो को फाइनल किया था। वह माता-पिता से मिला। अपने भतीजे, अपनी मां और उसके भगवान के साथ समय बिताया। अपनी मां को बताया कि वह वापस आकर उसे एक बहुत अच्छी खबर (बच्चा) देगा।’
सुप्रिया मूल रूप से जयपुर से थी
उसका भाग्य में विश्वास था। उसने फैसला किया कि वह अपने पति के बच्चे को इस दुनिया में लेकर आएगी। कुछ महीनों के बाद उसने परिवार से परामर्श किए बिना ये निर्णय लिया। किसी ने उसे डॉ. फिरोजा पारीख के बारे में बताया, जिन्होंने मुंबई में कई चमत्कारिक बच्चे देने में मदद की है।
उसने फिरोजा पारीख के साथ एक लंबी दर्दनाक और महंगी यात्रा शुरू की। पारीख इस महिला की मदद करने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं। उन्होंने उसे मानसिक रूप से मजबूत किया। फिर से आश्वस्त होने के बाद उन्होंने प्रक्रिया शुरू की।
डॉ. ने बताया
ये नहीं बताया जा सकता है कि हमने किस तरह स्पर्म को बचाया। जब स्पर्म बेंगलुरु से यहां पहुंचा, तो हम इसे खोलने को लेकर बहुत परेशान थे। हमने फैसला किया कि हम पर्याप्त अंडों को इकट्ठा और गर्भाधान करेंगे, भले ही इसके लिए हमें इंतजार करना पड़े और कई चक्रों से गुजरना पड़े। जब कई आईवीएफ प्रक्रिया के बाद सफलता नहीं मिली तो उन्होंने सरोगेट से संतान प्राप्ति का फैसला किया।
बाद में कुछ प्रयासों के बाद उनके पास केवल एक और मौका था। उसके बाद मरणोपरांत पिता के अनुवांशिक अवशेष हमेशा के लिए चले जाते, लेकिन इस बार यह काम कर गया।
हर साल पति की मौत की पुण्यतिथि से ठीक पहले सुप्रिया बाहर चली जाती थी। इस बार जब उसे फोन गया तो वह बाली में थी। उसका बच्चा दुनिया में आ गया था। सुप्रिया को ये जानकारी तब मिली, जब उसने इस दौरान गौरव से आखिरी बार बात की थी।
सुप्रिया ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि वह अपने पिता की तरह दिखता है। मैं एक बच्चा नहीं चाहती थी, मैं गौरव के बच्चे को चाहती थी। हमने तय किया था कि हमारा एक बच्चा होगा और दूसरा गोद लेंगे। अच्छी बात यह है कि अब मैं उनकी पुण्यतिथि पर कभी बाहर नहीं जाऊंगी।’