कर्नाटक से एक बड़ा मामला सामने आया हैं। जहां विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया एक बार फिर से चर्चें में हैं। इस बार उन्होंने बीफ को लेकर विवादित बयान दिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता ने कहा है कि, वे हिंदू हैं और उन्होंने अभी तक बीफ नहीं खाया, लेकिन चाहें तो वे बीफ खा सकते हैं। यह उनकी मर्जी है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इंसानों के बीच मतभेद पैदा कर रहा है। दरअसल सिद्धारमैया तुमकुरु में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने विवादित बयान दिया। बता दें कि, कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनवरी 2021 में कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 लाई थी।
कांग्रेस नेता ने संघ पर भी तीखा हमला बोला। सिद्धारमैया ने आरोप लगाया कि संघ के लोग समुदायों के बीच टकराव पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बीफ खाने वाले सिर्फ एक समुदाय के लोग नहीं होते। बीफ तो किसी भी समुदाय के लोग खा सकते हैं।
‘मैं हिंदू हूं…बीफ खा सकता हूं’- सिद्धारमैया
सिद्धारमैया ने कहा कि, ‘मैं हिंदू हूं. लेकिन मैंने अभी तक बीफ नहीं खाया, लेकिन मैं जब चाहूं बीफ खा सकता हूं, मुझे कौन रोकेगा? आप मुझ पर सवाल उठाने वाले कौन हैं?
कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा, बीफ खाने वाले सिर्फ एक समुदाय से ताल्लुक नहीं रखते हैं। हिंदू भी बीफ खाते हैं, क्रिश्चियन भी खाते हैं।
उन्होंने कहा, यहां तक कि मैंने एक बार कर्नाटक असेंबली में भी कहा था कि आप कौन होते हो, मुझे ये बताने वाले कि मैं बीफ न खाऊं। यह खाने की आदत से जुड़ा मामला है। यह मेरा अधिकार है।
सिद्धारमैया का बीफ को लेकर ये बयान ऐसे वक्त पर आया है जब हाल में कर्नाटक में हलाल मीट का मुद्दा सामने आया था। इसको लेकर सियासी बवाल भी मचा था।
जानिए क्या है बीजेपी कानून
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनवरी 2021 में कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 लाई थी। इस कानून के मुताबिक हर तरह के मवेशियों को खरीदना, बेचना, परिवहन करना, वध करना और व्यापार करना अवैध है।
पशु चिकित्सक के जाने नियम
खास बात यह है कि कानून के दायरे में गाय, बैल, भैंस और बैल भी शामिल हैं। हालांकि 13 वर्ष से ज्यादा उम्र की भैंस और गंभीर रूप से बीमार मवेशी इस कानून में अपवाद हैं। वहीं इनका वध भी किसी पशु चिकित्सक की ओर से प्रमाणित करने के बाद ही किया जा सकता है।
जानिए सजा का प्रावधान?
इस कानून का पालन नहीं करने पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा 50 हजार से लेकर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।