
उत्तर प्रदेश में सोलर प्लांट प्रोजेक्ट से जुड़ी घूसखोरी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच शुरू कर दी है। इन्वेस्ट यूपी के पूर्व CEO और IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश के निलंबन के बाद अब ED ने इस पूरे मामले में गहराई से पड़ताल करने का निर्णय लिया है। लखनऊ जोनल कार्यालय ने लखनऊ पुलिस से मामले की पूरी जानकारी मांगी है, जिसमें FIR, गिरफ्तार दलाल निकांत जैन से जुड़ी जानकारी, उसके बैंक खातों, जब्त दस्तावेजों और मोबाइल डेटा की डिटेल शामिल हैं।
ये है मामला
सूत्रों के अनुसार, ED ने लखनऊ पुलिस से आधिकारिक रूप से दस्तावेज मिलने से पहले ही अपनी ओर से जांच शुरू कर दी है। निकांत जैन और उसके भाई सुकांत जैन की 12 कंपनियों की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन कंपनियों का इस भ्रष्टाचार में क्या योगदान था और क्या इनके जरिए धन का कोई अवैध लेन-देन हुआ।
एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उत्तर प्रदेश में सोलर एनर्जी उपकरणों के निर्माण के लिए 7,000 करोड़ रुपये की एक परियोजना का प्रस्ताव इन्वेस्ट यूपी के पास रखा था। आरोप है कि इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले 5% कमीशन की मांग की थी।
मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आने के बाद गोपनीय जांच कराई गई, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद तत्कालीन CEO अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया, जबकि दलाल निकांत जैन को लखनऊ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
जांच एजेंसी निकांत जैन को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर सकती है। वहीं, IAS अभिषेक प्रकाश को भी बयान दर्ज करवाने के लिए बुलाया जा सकता है। इसके अलावा, ED ने सरकार से सोलर प्लांट के DPR (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और इसे मंजूरी देने की प्रक्रिया से जुड़े सभी अधिकारियों का ब्योरा मांगा है।
फॉरेंसिक जांच में जुटी पुलिस
निकांत जैन के पास से बरामद दो मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने किन-किन लोगों से बातचीत की, कौन-कौन से संदेश डिलीट किए और भ्रष्टाचार से जुड़े कौन से अहम सबूत अब भी बरामद किए जा सकते हैं।