IAS अधिकारी फैसल का बड़ा बयान, कहा-मुसलमानों को भारत जैसी आजादी कहीं नहीं मिलती है

ऋषि सुनक के ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बनने पर देश विदेश से कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पाकिस्तान समेत अन्य इस्लामिक देश उनके PM बनने पर सवाल उठा रहे हैं। इस पर कश्मीर के IAS अधिकारी शाह फैसल ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी कोने में मुसलमानों को ऐसी आजादी नहीं मिलती जैसी भारत में मिलती है। केवल भारत ही है, जहां मुसलमान टॉप पर पहुंच सकता है।

शाह ने एक सिविल सेवा अधिकारी के रूप में अपनी खुद की जर्नी का हवाला देते हुए कहा कि कश्मीर का एक मुस्लिम युवा भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में टॉप पर पहुंचा। फिर सरकार से अलग हो गया, लेकिन फिर भी उसी सरकार ने पद पर वापस जगह दी। ऐसा है भारत।

2019 में शाह ने पद से दिया था इस्तीफा

दरअसल, शाह फैसल ने 2009 में सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया था। दस साल काम करने के बाद उन्होंने जनवरी 2019 में इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देते हुए कहा कि कश्मीर में हो रही हत्याओं के लिए, मुसलमानों के हाशिए पर जाने के लिए और संवैधानिक संस्थानों के साथ छेड़छाड़ के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। रेप की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए देश को रेपिस्तान भी कहा था।

शाह के इन बयानों की काफी आलोचना की थी। इसके बाद उन्होंने खुद की एक पॉलिटिकल पार्टी भी बनाई, जिसका नाम कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) पार्टी था। फिर धारा-370 के हटने के बाद उन्हें पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट के तहत हिरासत में भी लिया गया। हिरासत से निकलते ही उन्होंने राजनीति छोड़ वापस सर्विस जॉइन कर ली।

भारतीय लोकतंत्र ने कभी जातीय भेदभाव नहीं किया

ऋषि सुनक का पद हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक आश्चर्य की बात हो सकती है। ये वो देश हैं जहां संविधान गैर-मुसलमानों को सरकार में शीर्ष पदों पर आने से रोका जाता है, लेकिन भारतीय लोकतंत्र ने कभी भी जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं किया है।

भारतीय मुसलमान समान नागरिक की तरह ही आजादी में रहते हैं, जो किसी इस्लामिक देश में अकल्पनीय है।

भारत में लोगों से हमेशा अपनापन-सम्मान पाया
अपने करियर में उतार-चढ़ाव का हवाला देते हुए फैसल ने कहा कि मेरा अपना जीवन एक यात्रा है। 1.3 अरब लोगों के इस देश के हर नागरिक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जहां मैंने अपनापन, सम्मानित और प्रेरित महसूस किया है। यही भारत देश है।

मौलाना आजाद से लेकर डॉ मनमोहन सिंह और डॉ. जाकिर हुसैन से लेकर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक, भारत हमेशा समान अवसरों की भूमि रहा है। यहां शीर्ष तक पहुंचने का रास्ता सभी के लिए खुला है।

सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में जाने वाले पूर्व IAS शाह फैसल ने सर्विस में लौटने के संकेत दिए थे। जम्मू-कश्मीर के पहले UPSC टॉपर रहे शाह ने एक बाद एक ट्वीट किए। इनमें उन्होंने अपने आदर्शवाद के बारे में बात की थी, जब उन्होंने 2019 में राजनीति में शामिल होने के लिए सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।

जम्मू-कश्मीर में 2010 के बैच में सिविल सर्विस में टॉप करने वाले शाह फैसल की जितनी चर्चा हुई थी, उतनी ही बहस उनकी सेवा में वापसी के बाद हुई। इस्तीफे के बाद राजनीति में शामिल होने और PSA के तहत कैद किए गए किसी IAS अफसर का इस्तीफा रद्द कर सेवाएं बहाल करने का यह पहला मामला है।

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