स्कूल के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से चल रहा प्रोफेशनल कालेज आईएमटी


जीडीए ने आवंटित से ज्यादा भूमि पर कर दिया नक्शा पास
-सवा सौ करोड़ की भूमि अवैध रूप से कब्जाने का आरोप
-जीडीए कराएगा उच्च स्तरीय जांच :कंचन वर्मा 
-भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की सीबीआई  से जांच कराने की मांग

गाजियाबाद। गाजियाबाद में पूर्व मेंकितने भूमि घोटाले हुए हैं। इसकी फेहरिस्त बढती जा रही है। इसी कड़ी में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद राजेंद्र त्यागी ने सोमवार को एक बड़ा खुलासा किया है जिसमें राजनगर में संचालित इंस्टीटयूट आॅफ मैनेजमेंट टैक्नोलाजी (आईएमटी) पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए)से स्कूल के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से न केवल
प्रोफेशनल कालेज चलाया जा रहा है बल्कि जीडीए ने इससे भी आगे बढकर आवंटित से ज्यादा भूमि पर मानचित्र भी स्वीकृत कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने

यह भी आरोप लगाया कि करीब सवा सौ करोड़ की भूमि आईएमटी ने अवैध रूप से कब्जा रखी है। दूसरी और जीडीए की उपाध्यक्ष कंचन वर्मा का कहना है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जाएगी । उन्होंने कहा एक महीने के अंदर विभिन्न पहलुओं पर जांच होगी और इसके बाद विधिक कार्रवाई की जाएगी ।

राजेंद्र त्यागी ने मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में कहा है कि जीडीए (पूर्व में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट) द्वारा वर्ष 1968 में लाला  लाजपत राय स्मारक सोसाइटी को स्कूल निर्माण के लिए 54049.25 वर्ग गज भूमि आवंटित की थी। जिसका स्पष्ट रूप से उददेश्य था कि आम आदमी के बच्चों को अच्छी स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। स्कूल निर्माण के लिए यह भूमि रियायती दरों पर मात्र 96 हजार 606 रूपय में  आवंटित की गई। जिसकी लीज डीड 7 अक्टूबर 1971 को निष्पादित की गई थी। त्यागी ने पत्र में कहा है कि  बाद में इस भूमि पर अवैध रूप से आईएमटी आरंभ किया गया और स्कूल के  लिए आवंटित भूमि पर इमारत बनाकर खड़ी कर ली है। जबकि आईएमटी एक प्रोफेशनल कालेज है और छात्रों से लाखों की मोटी फीस वसूली जाती है।

राजनीतिक रसूख के कारण यह अवैध कार्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं आईएमटी के प्रबंधकों द्वारा और भी अनियमितताएं बरती गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि जीडीए से स्वीकृत नक्शे से ज्यादा निर्माण या नक्शे के
विपरीत निर्माण, अधिकृत कवरेज से ज्यादा निर्माण तथा आवंटित से ज्यादा भूमि  पर कब्जा जमाया हुआ है। जीडीए से जब इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो जीडीए ने आधी अधूरी जानकारी ही दी है।
राजेंद्र त्यागी ने कहा है कि जीडीए ने सोसाइटी को 54हजार 49.49 वर्ग गज भूमि आवंटित की है जबकि जीडीए ने गलत आधार पर आईएमटी के नाम पर मानचित्र स्वीकृत किया है। मामला यहीं तक नहीं रूकता बल्कि जीडीए ने स्वीकृत भूमि से ज्यादा 61269.44 वर्ग भूमि पर मानचित्र स्वीकृत किया है। जबकि आईएमटी
ने मौके पर इससे कहीं ज्यादा भूमि कब्जाई हुई है। राजेंद्र त्यागी ने कहा है कि इस भूमि में करीब सवा सौ करोड़ की कीमत वाली 10हजार 841 वर्ग गज भूमि पर जीडीए बनाम उदय के विवाद के चलते कोर्ट से स्टे था जो 20 सितंबर 1977 को समाप्त हो चुका है लेकिन आइएमटी ने इस भूमि पर भी कब्जा जमाया हुआ है जबकि इस भूमि के एवज में आईएमटी ने किसी को कोई भुगतान नहीं किया है।

राजेंद्र त्यागी ने इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई  से कराने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा है कि आईएमटी संस्था राजनैतिक रसूखदारों द्वारा संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा यदि जांच के आदेश नहीं दिया गए तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटकताएँगे ।

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