आज (28 सितंबर) गणेश उत्सव का आखिरी दिन यानी अनंत चतुर्दशी है। पूजा-पाठ के बाद गणेश जी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। इसके लिए दिनभर में दो शुभ मुहूर्त हैं। भगवान गणपति की विदाई का पहला मुहूर्त दोपहर 12 से 3 बजे तक रहेगा। शाम 4.30 से 6 बजे तक आखिरी मुहूर्त होगा। विसर्जन दोपहर में करेंगे तो अच्छा रहेगा, क्योंकि गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय सबसे अच्छा रहता है। अगर दिनभर में किसी कारण प्रतिमा विसर्जन ना कर पाएं तो सूर्यास्त के बाद ना करें, अगले दिन सुबह किसी शुभ चौघड़िए में करें।
नदी-तालााब में नहीं, घर में करें विसर्जन
नदी-तालाब में प्रतिमा और हार-फूल डालने से दोष लगता है, इसलिए गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन घर में ही करना चाहिए। नदी-तालाब गंदे होने के प्रकृति को भी नुकसान होता है। इस संबंध में स्कदंपुराण में लिखा है, ‘जो लोग नदी, तालाब या कुंओं के जल को गंदा करते हैं, उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगता है। इसलिए जल में कचरा डालने से, साबुन लगाकर नहाने और मूर्तियां और हार-फूल बहाने से बचना चाहिए।’
गणेश अंक में लिखा है, ‘ये ब्रह्मांड और हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है। ये पंचतत्व हैं- पृथ्वी, आकाश, अग्रि, वायु और जल। इनमें जल तत्व के स्वामी गणेश जी हैं। हमारे शरीर में 75 प्रतिशत तक पानी ही है। इस वजह से भी गणेश जी की पूजा सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले की जाती है। गणेश के साथ ही जल भी पूजनीय है। जल को गंदा करने से गणेश जी का अनादर होता है। इसलिए जल को बचाना चाहिए और उसकी पवित्रता बनाए रखनी चाहिए।’
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गणपति जी का विसर्जन कभी होता ही नहीं है। पूजा पूर्ण होने पर हम भगवान से ये प्रार्थना करते हैं कि रिद्धि-सिद्धि के साथ गणेश जी सदा हमारे घर में वास करें। अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी को अपने घर से विदा न करें, बल्कि घर में ही प्रतिमा विसर्जन करें, ताकि भगवान हमेशा हमारे घर में ही रहें।