60 मिनट के भाषण में 13 बार कांग्रेस, 7 बार नेहरू और 3 बार जिन्ना का जिक्र…मोदी बोले- कांग्रेस ने वंदे मातरम् के किये टुकड़े

पीएम मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने एक घंटे की स्पीच में कहा ‘वंदे मातरम् अंग्रेजों को करारा जवाब था, ये नारा आज भी प्रेरणा दे रहा। आजादी के समय महात्मा गांधी को भी यह पसंद था। उन्हें यह गीत नेशनल एंथम के रूप में दिखता था।

पीएम ने कहा, उनके लिए इस गीत की ताकत बड़ी थी। फिर पिछले दशकों में इसके साथ इतना अन्याय क्यों हुआ। वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात क्यों हुआ। वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ी।

पीएम मोदी ने एक घंटे की स्पीच में वंदे मातरम् 121 बार, देश 50, भारत 35, अंग्रेज 34, बंगाल 17, कांग्रेस का 13 बार जिक्र किया। उन्होंने वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का नाम 10 बार, नेहरू 7 बार, महात्मा गांधी 6 बार, मुस्लिम लीग 5 बार, जिन्ना 3 बार,संविधान 3 बार, मुसलमान 2 बार, तुष्टिकरण 3 बार कहा।

जिन्ना के सामने झुके नेहरू

मोदी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर 1936 को वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया। कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा।

PM ने कहा कि बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।

पीएम के भाषण की 6 बड़ी बातें

  • वंदे मातरम् का स्मरण इस सदन का सौभाग्य: ‘जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था, उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है।’
  • वंदे मातरम् के 150 साल पर भारत तेजी से बढ़ रहा: जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। जब इसके 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल के अंधेरे में था। आज जब इसके 150 वर्ष हो रहे हैं, तो भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • 1906 का एक किस्सा सुनाया: वंदे मातरम् से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए कहा- 20 मई 1906 को बारीसाल ( अब बांग्लादेश में है) में वंदे मातरम् जुलूस निकाला, जिसमें 10 हजार से ज्‍यादा लोग सड़कों पर उतरे थे। इसमें हिंदू और मुस्लिम समेत सभी धर्म और जातियों के लोगों ने वंदे मातरम् के झंडे हाथ में लेकर सड़कों पर मार्च किया था।
  • बंगाल के लिए वंदे मातरम् गली–गली का नारा बन गया: हमारे जांबाज सपूत बिना किसी डर के फांसी के तख्त पर चढ़ जाते थे और आखिरी सांस तक वंदे मातरम् कहते थे। हमारे अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम् कहते हुए फांसी को चूम लिया। बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम् गली–गली का नारा बन गया था, और यही नारा बंगाल को प्रेरणा देता था।
  • नेहरू ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए: जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। बजाय इसके कि नेहरू मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को करारा जबाब देते, उसकी निंदा करते, लेकिन उल्टा हुआ। उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी। नेहरू ने 5 दिन बाद नेताजी को चिट्ठी लिखी। उसमें जिन्ना की भावना से सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम् की आनंदमठ वाली पृष्ठभूमि से मुसलमालों को चोट पहुंच सकती है। वे लिखते हैं- ये जो बैकग्राउंड है, इससे मुस्लिम भड़केंगे। कांग्रेस का बयान आया कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी, जिसमें वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा होगी।

इस प्रस्ताव के खिलाफ लोगों ने देश भर में प्रभात फेरियां निकालीं, लेकिन कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए। इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए।

  • INC चलते-चलते MNC हो गया: कांग्रेस ने आउससोर्स कर लिया है, दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी ही है। INC चलते-चलते MNC हो गया। जिन-जिन के साथ कांग्रेस जुड़ा है, वे वंदे मातरम् पर विवाद कड़ा करते हैं। जब कसौटी का काल आता है, तभी यह सिद्ध होता है कि हम कितने दृढ़ है, कितने सशक्त हैं।

लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा

संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की जा रही है। इसके लिए 10 घंटे का समय तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर 12 बजे इस चर्चा की शुरुआत की। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में उपनेता प्रतिपक्ष गौरव गोगोई ने सबसे पहले अपनी बात रखी।

दरअसल राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के मौके पर भारत सरकार की ओर से सालभर का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 2 दिसंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सभी दलों के प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई थी। इसमें तय किया गया था कि वंदे मातरम् को लेकर 8 दिसंबर को लोकसभा और 9 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी।

संसद में वंदे मातरम पर चर्चा कराने की 5 वजह

सरकार संसद में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा इसलिए कराना चाहती है ताकि इसके 150 साल पूरे होने पर इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व देश के सामने रखा जा सके। इसके पीछे 5 बड़ी वजहें मानी जा रही हैं:

1) राष्ट्रीय भावना और एकता का संदेश- सरकार चाहती है कि वंदे मातरम पर चर्चा से देश में राष्ट्रभावना, सांस्कृतिक गौरव और एकता का संदेश जाए। यह विषय जनता में भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा करता है।

2) बंगाल चुनाव से जुड़ा राजनीतिक संकेत- वंदे मातरम का इतिहास बंगाल से जुड़ा हुआ है। अगले साल होने वाले बंगाल चुनाव को देखते हुए सरकार इस मुद्दे को सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से सामने लाना चाहती है। इससे सरकार को लगता है कि वह राज्य में भाजपा के लिए सकारात्मक और राजनीतिक माहौल बना सकेगी।

3) 1937 में वंदे मातरम के हिस्से को हटाने की बहस को सामने रखना- आजादी से पहले 1937 में इसके दूसरे हिस्से को धार्मिक कारणों से उपयोग से हटाया गया था। सरकार चाहती है कि उस ऐतिहासिक विवाद पर चर्चा हो और इसके पीछे तुष्टिकरण की राजनीति को सामने लाया जा सके।

4) बंगाल विभाजन और स्वतंत्रता आंदोलन की याद दिलाना- वंदे मातरम का नारा बंगाल विभाजन (1905) के खिलाफ बड़े आंदोलनों का केंद्र था। सरकार इस इतिहास को राष्ट्रीय मंच पर फिर से सामने लाकर देशभक्ति की भावना को मजबूत करना चाहती है।

5) विपक्ष के साथ टकराव से ध्यान हटाना- SIR पर चल रहे तनाव के बीच वंदे मातरम जैसी भावनात्मक और सर्वस्वीकार्य चर्चा से संसद का माहौल सकारात्मक करने की कोशिश भी सरकार की रणनीति का हिस्सा है।

खबरें और भी हैं...

Leave a Comment