लखीमपुर खीरी । जिला मुख्यालय से करीब पचपन किमी की दूरी पर स्थित बाबा टेढ़ेनाथ का शिव मंदिर है। गोमती नदी के तट पर बना हुआ टेढ़ेनाथ काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर दूर-दराज से भक्तगण भक्ति भावना से आते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है और कांवड़ियों के जत्थे यहां जलाभिषेक और जयघोष करते देखे जा सकते हैं। सावन भर यहां चलने वाले मेले में भक्तों का तांता लगा रहता है। मोहम्मदी क्षेत्र की पावन गोमती नदी के तट पर स्थित महाभारत कालीन बाबा टेढ़े नाथ धाम के नाम से जाना जाता है।
टेढ़ेनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर का अपना अलग ही स्थान है। मान्यता है कि महाभारत काल में इस मंदिर की स्थापना अर्जुन ने की थी। जनपद में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है और दूर दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं। पहली बार बाबा टेढ़ेनाथ धाम की महिमा देश-विदेश में हो पाई है। बता दें कि टेढ़ेनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर का अपना अलग ही स्थान है। गोमती तट से कुछ दूर स्थित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि अत्याचारी औरंगजेब के हाथी जंजीरों में बांधकर भी शिवलिंग को उखाड़ नहीं पाए थे।
शिवलिंग कुछ तिरछा हो गया था जिस पर इस स्थल का नाम टेढ़े नाथ पड़ा। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास में आये पांडवों- धर्मराज युधिष्ठिर ने राजा विराट के यहां रहते हुए स्वयं की थी। जब कि पुजारी के अनुसार पौराणिक काल की बात है कि मंदिर परिसर में सात कांवड़िया आए। उस समय यहां का शिव लिंग लुढ़का हुआ था। कावड़ियों ने कहा अगर शिव लिंग रात भर में सीधा हो जाएगा तो गोला शिव मंदिर जलाभिषेक करने नहीं जाएंगे और इसी मंदिर में जलाभिषेक करेंगे।
इसमें चार कांवड़ियों ने जलाभिषेक कर दिया और तीन ने नहीं किया। सुबह आधा शिवलिंग सीधा हुआ, शेष तीन के न करने पर आधा शिवलिंग टेढ़ा रहा। इस कारण उसका नाम बाबा टेढ़ेनाथ मंदिर कहा जाने लगा। मंदिर महाभारत काल का बताया जाता है। उस समय यहां पर घना जंगल हुआ करता था, जहां राजा विराट की गायें चरा करती थीं। इस विशालकाय क्षेत्र को पड़ेहार क्षेत्र भी कहते हैं। वही सावन भर दूर-दूर से हजारों की संख्या मे कावड़िया टेढ़े नाथ मंदिर आकर जलाभिषेक करते हैं और मन्नते मांगते हैं।